अर्हम्

अर्हम्

साध्वीप्रमुखा चयन मनोहर दृश्य महामंगलकारी।
दिखलाया है युगप्रधान ने, युग सृष्टा युग अवतारी।।

ज्यों ही आया नाम सामने, गूँज उठा सारा पंडाल,
साध्वीगण को किया प्रभु ने, एक पलक में मालोमाल।
छाई चारों ओर खुशालीऽऽऽ महाश्रमण जय जयकारी।।

विश्रुतविभा हुई विश्रुत तब देश-विदेशों पहुँचा नाम,
मुखरित हुए बधाई के स्वर, जन-जन करने लगे प्रणाम।
साध्वीगण ने शीष चढ़ायाऽऽऽ, गुरुवर हैं महाउपकारी।।

रिक्त स्थान महाश्रमणी का, प्रभु ने किया उसे गुलजार,
सक्षम हाथों में सौंपा है, साध्वीगण का पूरा भार।
आधी दुनिया की पूरीऽऽऽ, प्रभु ने दी है जिम्मेदारी।।

नई भोर हो तुम्हें मुबारक, पग-पग पर जय विजय वरो,
रहो निरामय, बनो सुधामय, क्षण-क्षण गण भंडार भरो।
गुरु इंगित से दीर्घकाल तकऽऽऽ, करो हमारी रखवारी।।

लय: क्या मिलिए---