अर्हम्

अर्हम्

श्रुत संपन्नता साध्वीप्रमुखा,
जागी वर पुण्याई।
शासन बगिया मुस्काई।। धु्र0

विशद भाव से करें आरती,
गाएँ गीत प्रभाती।
रहो निरामय सदा विभामय,
जोत जले बिना बाती।
चंदेरी की शुभ्र चाँदनी।
बाजी यश शहनाई।।

सागर फेन-समुज्ज्वल पावन,
अंतस्तल है तेरा।
प्रेरक और सरस है जीवन,
पोथी का हर पेरा।
दुग्धस्नात संन्यास तुम्हारा,
बड़ा प्रेरणादायी।।

छायानिधि सम गुरु-छाया ने,
ऊर्जस्वल तुम्हें बनाया।
ममता-समता अद्भुत क्षमता,
जन मानस चकराया।
मिली विलक्षण सती शेखरा,
ली युग ने अंगड़ाई।।

लय: जहाँ डाल-डाल---