अक्षय तृतीया पर 25 तपस्वियों ने वर्षीतप की पूर्णाहुति
चेन्नई।
तेरापंथी सभा के तत्त्वावधान में मुनि सुधाकर कुमार जी के सान्निध्य में अक्षय तृतीया के अवसर पर वर्षीतप आराधकों के अभिनंदन, अनुमोदना का कार्यक्रम आयोजित हुआ। नमस्कार महामंत्र से कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। मुनि सुधाकर जी ने कहा कि इतिहस बनता नहीं, बनाया जाता है। जो धीर, वीर, गंभीर होते हैं वे ही तप के क्षेत्र में गतिशील होते हैं। मुनिश्री ने भगवान ऋषभ के जीवन के तप से जुड़े दिवस पर तपस्वियों के आध्यात्मिक जीवन की शुभकामना के साथ प्रेरणा पाथेय प्रदान किया। इस अवसर पर कहा कि वर्तमान में जहाँ भौतिकता की चकाचौंध बढ़ रही है, वहीं तप के क्षेत्र में भी लोग निरंतर गतिशील हैं। आज जहाँ 70 वर्षीय तपस्विनी विमला देवी वैदमूथा अपना 38वाँ वर्षीतप लेकर आई हैं, वहीं 32 वर्षीय युवक दर्शन सेठिया दूसरा वर्षीतप लेकर आया है। सभी परिवार वालों ने भी अपनी समतानुसार तपस्वियों का मनोबल, आत्मबल बढ़ाया, उनकी अनुमोदना में सहभागी बने। मुनि नरेश कुमार जी ने संचालन करते हुए गीतिका प्रस्तुत की। सभी संघीय संस्थाओं की ओर से विमल चिप्पड़ ने चेन्नई प्रवासित साध्वी मंगलप्रज्ञा जी की सहवर्तीनी साध्वी राजुलप्रभाजी के दूसरे उपवास वर्षीतप और साध्वी सिद्धियशाजी के एकाशन वर्षीतप के पूर्णाहुति की अनुमोदना की।
प्यारेलाल पितलिया, घीसूलाल बोहरा, डॉ0 कमलेश नाहर, संतोष सेठिया, पुष्पा हिरण ने तपस्वियों के तप की अनुमोदना गीत, वक्तव्य के माध्यम से की। पारिवारिकजनों ने भी तपस्वियों के तप की अनुमोदना की। प्रचार-प्रसार प्रभारी स्वरूपचंद दांती ने बताया कि समारोह में तेरापंथी सभा के साथ तेरापंथ ट्रस्ट मंडल, साहूकारपेट, तेयुप, अणुव्रत समिति, टीपीएफ आदि संस्थाओं का सहयोग रहा। कार्यक्रम के व्यवस्था पक्ष में तेममं का विशेष सहयोग रहा।