रूपांतरण एक्सप्रेस कार्यशाला का आयोजन

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रूपांतरण एक्सप्रेस कार्यशाला का आयोजन

जसोल।
अभातेममं के तत्त्वावधान में तेममं द्वारा साध्वी उर्मिलाकुमारी जी व साध्वी रतिप्रभाजी के सान्निध्य में महिला मंडल अध्यक्ष सोहनी देवी सालेचा की अध्यक्षता में रूपांतरण एक्सप्रेस ‘शांति’ बोगी के साथ पहुँच चुकी है ‘संयम’ ‘एक युद्ध स्वयं के साथ’ स्टेशन पर। कार्यशाला का शुभारंभ त्रिपदी वंदना से किया गया। प्रेरणा गीत से मंगलाचरण किया। उपाध्यक्ष अरुणा डोसी ने सभी का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की जानकारी दी।
साध्वी रतिप्रभाजी ने कहा कि हर जीव के पास पाँच इंद्रियाँ व मन होता है। पाँच स्थावर के एक स्पर्शन इंद्रियाँ होती है, लेकिन उनको भी पाँच इंद्रियाँ वाले जैसी ही पीड़ा होती है। उनके कर्मों के कारण वह अपनी पीड़ा प्रकट करने में असमर्थ हैं। साध्वी उर्मिला कुमारी जी ने कहा कि इंद्रियों का संयम क्या है? कैसे करना चाहिए? संयम इंसान का बेहतरीन गुण है। जो व्यक्ति संयम नहीं रखता उसको निर्णय, उसकी इच्छाएँ बदलती रहती हैं और परीक्षा की घड़ी में निर्बल साबित होता है। जो संयमी होगा वो सम्यग् दर्शन को प्राप्त करेगा। निर्वाण को प्राप्त कर सकता है।
सभी अपने जीवन में मन, वचन और काया को संयमित करो और शांति का वरण करो। संयम ही सम्यक्त्व का बोध भाव है। अध्यक्ष सोहनीदेवी सालेचा ने सभी का आभार ज्ञापन किया। आचार्य तुलसी लेख प्रतियोगिता की सूचना व नियम भी बताए। उपासिका लीलादेवी सालेचा ने कार्यशाला का संचालन किया। बहनों की उपस्थिति सराहनीय रही।