आचार्यश्री तुलसी के कार्यों को शताब्दियों तक याद रखेंगे

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आचार्यश्री तुलसी के कार्यों को शताब्दियों तक याद रखेंगे

बरेटा मंडी, मानसा।
तेरापंथ धर्मसंघ के नवम् अधिशास्ता आचार्यश्री तुलसी एक ज्योतिपुंज आचार्य थे। मात्र 22 वर्ष की अवस्था में आचार्य बनकर उन्होंने संघ को जो ऊँचाइयाँ प्रदान की उसे कभी विस्मृत नहीं किया जा सकता है। जो आज हमें धर्मसंघ में चहूँमुखी विकास नजर आ रहा है, उसकी शुभ शुरुआत करने वाले आचार्यश्री तुलसी ही थे। तेरापंथ धर्मसंघ में साहित्य का जो विस्तार देख रहे हैं, चाहे आगम साहित्य हो चाहे अणुव्रत, प्रेक्षाध्यान, जीवन-विज्ञान या नाना विषयों पर गद्य-पद्यमय प्रचुर साहित्य है वह सब आचार्यश्री तुलसी की ही देन है। विज्ञप्ति, तेरापंथ टाइम्स, अणुव्रत पत्रिका, प्रेक्षाध्यान पत्रिका, युवादृष्टि आदि पत्र-पत्रिकाएँ जो देश-विदेश में घर-घर पहुँच रही हैं, जिससे समाज और संघ में चलने वाली गतिविधियों को आसानी से समझने का अवसर मिलता है। ज्ञानशाला, किशोर मंडल, कन्या मंडल, युवक परिषद, महिला मंडल, अणुव्रत समिति आदि भी गुरुदेव के समय ही प्रारंभ हुई, जिससे समाज के हर वर्ग के लोग आसानी से जुड़ सकते हैं। जैन विश्व भारती, समण श्रेणी आदि भी गुरुदेव की ही देन है। साधु-साध्वियों को ही नहीं श्रावक-श्राविकाओं को भी हर दृष्टि से सक्षम और उपयोगी बनाया जो आज उपासक-उपासिका के रूप में अपनी सेवा दे रहे हैं। गुरुदेव के अनेक आयामों को बता सकना आसान नहीं है। हर आयाम व्यक्ति को ज्ञानवान और प्राणवान बनाने वाला है। इस अवसर पर मुनि अमन कुमार जी, मुनि नमि कुमार जी, प्रवीण जैन, विनोद सुराणा, महिला मंडल एवं हेमंत जैन ने भी अपने विचारों की अभिव्यक्ति दी।