त्रिदिवसीय ज्ञानशाला चारित्र निर्माण संस्कार शिविर का समापन
गांधीनगर।
तेरापंथ सभा भवन में शासनश्री साध्वी कंचनप्रभाजी के सान्निध्य में तेरापंथ सभा के तत्त्वावधान में आयोजित त्रिदिवसीय चारित्र निर्माण शिविर का समापन किया गया। लगभग 200 बालक-बालिकाओं ने इसमें भाग लिया। शासनश्री साध्वी कंचनप्रभाजी ने कहा कि चारित्र का निर्माण संस्कारों पर निर्भर है। ज्ञानशाला सद्-संस्कारों की जननी है। बचपन तथा शैशव श्वेत पत्र के समान है, जिस पर जैसा चाहे लिखा जा सकता है, जैसा चाहे रंग भरा जा सकता है। ज्ञानशाला आध्यात्मिक संस्कारों के बीजारोपण के लिए एक ऐसा महान उपक्रम संपन्न पाठ्यक्रम है जिसमें बालक-बालिकाओं में धर्म देव, धर्म गुरु के प्रति श्रद्धा भाव जागृत होते हैं।
शासनश्री साध्वी मंजुरेखाजी ने कहा कि वर्तमान का समय युग परिवर्तन का समय है इस बदलते परिवेश में निर्माण जरूरी है, जिनके पास दिशा सही होती है वह हमेशा सही बोध प्राप्त करता है, किशोर-किशोरियों को प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि आपका चरित्र ही आपका व्यक्तित्व है। साध्वी मंजुरेखाजी, साध्वी उदितप्रभाजी, साध्वी निर्भयप्रभाजी, साध्वी चेलनाश्री जी ने मधुर गीत प्रस्तुत किया। शिविर में ज्ञानशाला संयोजक जुगराज श्रीश्रीमाल, हेमंत छाजेड़, प्रशिक्षिकाएँ, पारसमल नाहर, राजेश कोठारी, समता गीड़िया, संगीता चंडालिया, संगीता सिसोदिया एवं प्रभा सेठिया आदि ने प्रशिक्षण दिया। शिविर समापन समारोह में तेरापंथ अध्यक्ष सुशेश दक, तेयुप अध्यक्ष विनय बैद, तेरापंथ महिला मंडल मंत्री सरस्वती बाफना, जुगराज श्रीश्रीमाल, पारसमल नाहर ने शिविर में संभागी बने सभी सदस्यों के शुभ भविष्य की मंगलकामना की।
शासनश्री साध्वी कंचनप्रभाजी ने गांधीनगर तेरापंथ में 29 मई से प्रारंभ होने वाली ज्ञानशाला में जैन विद्या व शिशु संस्कार बोध अध्ययन के लिए बालक-बालिकाओं को व उनके अभिभावकों को प्रेरणा दी। आभार ज्ञापन किरण सेठिया ने किया। ज्ञानशाला सह-संयोजक गौतम डोसी ने तीनों दिन कार्यक्रम का व शिविर व्यवस्था का संचालन किया। कन्याओं ने क्विज अंत्याक्षरी स्क्रिप्ट आदि कार्यक्रम प्रस्तुत किए। मंगली देवी दुधेड़िया एंड संस शिविर के प्रायोजक रहे। गांधीनगर के पितलिया एवं सिसोदिया परिवार के द्वारा सभी बच्चों को पारितोषिक वितरित किया गया।