पुण्याई से प्रतिकूल परिस्थितियाँ भी अनुकूल बन जाती हैं
जसोल।
साध्वी रतिप्रभाजी के सान्निध्य में आचार्यश्री महाश्रमण जी के जन्मदिवस, पट्टोत्सव, युगप्रधान पद पर प्रतिष्ठित कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत में साध्वीश्री जी ने नमस्कार महामंत्र से की। महिला मंडल द्वारा महाश्रमण अष्टकम् से मंगलाचरण किया। साध्वी पवनयशाजी ने आचार्यश्री महाश्रमण को वंदन करते हुए गुरु के प्रति अटूट श्रद्धा, सत्यवादिता, मेधावी, बहुश्रुत, शक्तिशाली, मुख पर मधुर मुस्कान जैसे अनेक गुणों के बारे में बताया। साध्वी कलाप्रभा जी ने बताया कि साधना से ही संघ चलता है। सभी आचार्यों ने अपने खून-पसीने से इस संघ को संवारा है, सींचा है। अनुशासन में रहने वाला ही विकास करता है। साध्वी रतिप्रभाजी ने कहा कि प्रबल पुण्याई के प्रतिकूल परिस्थिति भी अनुकूल बन जाती है। इसी क्रम में महिला मंडल, तेममं संरक्षिका पुष्पादेवी बुरड़, उपासिका मोहनी देवी संकलेचा, महेंद्र आर0 तातेड़ सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने अपने गुरु को मंगलभावना प्रेषित की। कार्यक्रम का संचालन सभा मंत्री माणकचंद संकलेचा ने किया।