प्रज्ञा दिवस एवं संयम कार्यशाला का आयोजन
फरीदाबाद।
साध्वी शुभप्रभाजी के सान्निध्य में आचार्यश्री महाप्रज्ञजी का 103वाँ जन्म दिवस प्रज्ञा दिवस के रूप में महेंद्र गेलड़ा (बीदासर) के घर में आयोजित किया गया। इस अवसर पर साध्वीश्री जी ने कहा कि एक शिशु खुले आकाश में जन्मा। धरती का स्पर्श होते ही उसकी भावना जगी कि मैं जमीन से जुड़ा रहूँ। प्रातःकाल का उपापान कर अध्यात्म में डुबकियाँ लगाने का इरादा बना। विद्यालय का दरवाजा नहीं देखा पर गुरुकृपा, वैराग्य और अभ्यास से अंतःप्रज्ञा को जागृत कर लिया।
साध्वीश्री जी ने कहा कि महान वही व्यक्ति बन सकता है, जो आहार संयम, विचार संयम, व्यवहार संयम, विहार संयम करता है एवं संस्कार संपन्न होता है। साध्वी कांतयशाजी, साध्वी मंदारयशाजी, साध्वी अनन्यप्रभाजी ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। सभाध्यक्ष गुलाब बैद, महिला मंडल अध्यक्षा सुमंगला बोरड़, बहादुर सिंह दुगड़ ने गीत, विचार व्यक्त किए। गरिमा भूतोड़िया, ललिता बैद ने शब्दचित्र के माध्यम से आचार्यश्री के जीवन को सुंदर प्रस्तुति दी। महिला मंडल ने महाप्रज्ञ अष्टकम् से मंगलाचरण किया। अभातेममं द्वारा निर्देशित ‘संयम कार्यशाला’ का आयोजन किया गया। इस संदर्भ में साध्वीश्री जी ने कहा कि आत्मा के साथ युद्ध करने वाला ही परमात्म पद को पा सकता है। पाँच इंद्रियों के विषय शब्द, रूप, गंध, रस, स्पर्श एवं मन पर नियंत्रण करने वाला ही विकास के पथ पर अग्रसर होता है। महिला मंडल ने गीत का संगान किया। आभार ज्ञापन ललिता बैद ने किया। कार्यक्रम का संचालन सभा मंत्री संजीव ने किया।