नव मनोनीत साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी के प्रति हृदयोद्गार
साध्वी सूरजप्रभा
गुरूदेव ने महती कृपा करके साध्वी समाज में जो साध्वी प्रमुखा का स्थान दो माह से रिक्त था उसको भर दिया। गुरूदेव की इस दूरदर्शिता का स्वागत करते हैं कि ऐसा मनमोहक नजारा देख पाये।
आपश्री के नाम की घोषणा सुनते ही सभी साध्वियों ने-अर्हम, जय जय नंदा, जय जय भद्दा से हॉल गुंजायमान कर दिया। घोषणा सुनते ही मुझे अतिरिक्त प्रसन्नता की अनुभूति हुई जिसको लिखने में अक्षम महसूस कर रही हूं। आगमज्ञा, समयज्ञा, आत्मज्ञा, गुणज्ञा एवं अप्रमत्तता, गंभीरता, सरलता, सहजता, बोद्धिकता के धनी विनय-समर्पण की प्रतिमूर्ति साध्वी प्रमुखा विश्रुतविभाजी को 9वीं साध्वी प्रमुखा के रूप में पाकर हम निहाल हो गईं।
तीन-तीन आचार्यों से तपी हुई, शासनमाता महाश्रमणी के गुणों से रंगी हुई साध्वी प्रमुखा को पाकर हम गौरव की अनुभूति कर रहे हैें। कैसे, किस प्रकार बधाएं आपको। हम तीनों साध्वियां- साध्वी सूरजप्रभा साध्वी लावण्ययशा एवं साध्वी नैतिकप्रभा के भीतर बह रहे खुशियों के झरनों से आपका अभिनंदन करती हैं और कामना करती हैं कि आपका तनुरत्न संघ का तनुरत्न है, वह स्वस्थ, निर्मल, निरामय रहे। आपश्री का सान्निध्य हमें युगों-युगों तक मिलता रहे। शुभम् भूयात्, शिवं भूयात्, मंगल भूयात्, कल्याणं भूयात्। वंदना-अभिवंदना, वंदना-अभिवंदना।