नव मनोनीत साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी के प्रति हृदयोद्गार

नव मनोनीत साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी के प्रति हृदयोद्गार

साध्वी कुन्दनरेखा

युवादिवस के मंगलमय पुनीत अवसर पर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम अधिशास्ता युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने साध्वीप्रमुखा मनोनयन का नयनाभिराम दृश्य दिखाकर एक नये इतिहास का सृजन कर युग के भाल पर एक नया अभिलेख लिख दिया। गुरुदेव की दूरदर्शिता, पारदर्शिता एवं गंभीरता विलक्षण है। आज हम आचार्यप्रवर के कर्तृत्व, नेतृत्व एवं व्यक्तित्व को नमन करते हैं, जिन्होंने संघ को तीन-तीन कृतियां देकर उपकृत कर दिया है! साध्वी प्रमुखा का चयन कर साध्वी संघ को निश्चित बना दिया है।
साध्वी प्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी को पाकर हम उल्लसित हैं, प्रफुल्लित हैं, भावविभोर हैं। प्रभो! हमने निकटता से अनुभव किया है कि साध्वी प्रमुखाश्रीजी का संयम अनुत्तर है, साधना अनुत्तर है, अप्रमतता अनुत्तर है और गंभीरता अनुत्तर है। हे सतिशेखरे! आपने अपने विनय, समर्पण और नम्रता से तीन-तीन गुरुओं का विश्वास एवं असीम कृपा प्राप्त की है। वर्धापना के मंगलमय क्षणों में यही मंगलकामना करते हैं कि आपका नेतृत्व तेजस्वी बने! साध्वी समाज में गति-प्रगति के नये क्षितिज खुले। आप चिरायु हो, दीर्घायु हो।