सतिशेखरे! आज बधावां
साध्वी समत्वयशा
आई रे-आई रे शुभघड़ी आई, गण में दिवाली आई।
हो---- छाई रे छाई रे खुशियां है छाई, श्रमणी-गण सरदार मन भाई।
भिक्षु-गण पायो आपां हां सौभागी।
महाश्रमण रै अनुशासन में पुण्याई जागी।
महातपस्वी महाश्रमण पा, कली-कली मुस्काई।।
नित नूंवां नजारां देखां ई गणवन में।
साध्वी प्रमुखा चयन ओ निरख्यो जीवन में।
वीतराग प्रभु तीर्थकर-सा, अद्भुत झांकी दिखाई।।
आभारी श्रमणी-परिकर प्रभुवर रो।
मनोनयन साध्वी प्रमुखा रो हरख्यो हर मनड़ो।
चयन हुयो ओ मनहर विभुवर, भाग्यलता विकसाई।।
मंगल गावां सतिशेखरे! आज बधावां।
लो स्वीकारो भावा×जलियां, झुक-झुक शीश नमावां।
दसूं दिशावां आज विरुदावै, बाजै है यश-शहनाई।।
श्री सरदार, नवल सति, जेठा, कानकुमारी।
झमकू, लाडां, कनकप्रभाजी सगला स्यूं न्यारी।
विश्रुत विभा नवमें पाट बिराजे, जागी गण री पुण्याई।।
जिनशासन रो एक अनोखो, ओ ध्रुवतारो।
विश्वनभ पर चमकै देखो, तेरापंथ आपां रो।
युगप्रधान महाश्रमण प्रभु री, गण-बगिया सरसाई।।
लय: कांजीड़ा, कांजीड़ा-----