मनोनयन पर गण-बगिया महकाई
साध्वी कर्णिकाश्री
बधाई! बधाई! बधाई!!!
गुरुवर की बरसी कृपा सवाई।
गण ने नवम साध्वी प्रमुखा पाई।
हर मन की कलि-कलि मुस्काई।
गण-प्रांगण में नई बहारें आई।
विश्रुतविभा की प्रकट हुई पुण्याई।
लो स्वीकारो, बधाई! बधाई! बधाई!!!
भू पर किरणें संदेशा लाई।
रोम-रोम में खुशियां छाई।
रसभरी भोर सबके मन को भाई।
वैशाखी चवदश खूब सुहाई।
गूंजे तेरी चिंहुदिक यश-शहनाई।
सतिशेखरे! बधाई! बधाई!! बधाई!!!
सागर-सी देखी गहराई।
भास्कर-सी देखी अरुणाई।
चिरंजीवी हो तेरी तरुणाई।
रोमराजि सबकी विकसाई।
भाग्य जगा लेकर अंगड़ाई।
श्रमणीगण सिरमोर! बधाई! बधाई!! बधाई!!!
मनोनयन पर गण बगिया महकाई।
शुभ-भविष्य ने प्रीत निभाई।
भावों की शुभ भेंट चढ़ाई।
कोयल ने पंचम स्वर में तान सुनाई।
श्रमणीगण की मुकुट-मणि को,
देते मिलकर आज बधाई।
बधाई! बधाई!! बधाई!!!