रूपांतरण शिल्पशाला का आयोजन
तिरुपुर।
अभातेममं द्वारा निर्देशित रूपांतरण थ्रू जैनिज्म शिल्पशाला के अंतर्गत जून माह का विषय ‘संयम एक युद्ध स्वयं के विरुद्ध’ का आयोजन साध्वी उज्ज्वलप्रभाजी के सान्निध्य में तेरापंथ भवन में किया गया। कार्यशाला का प्रारंभ नमस्कार महामंत्र द्वारा किया गया। साध्वी उज्ज्वलप्रभाजी ने कहा कि जीने का अर्थ यह नहीं है कि केवल प्राणों का भार ढोना है, जीने का लक्ष्य है, प्रसन्नता का जीवन जीएँ, पवित्रता का जीवन जीएँ, शांति का जीवन जीएँ, सुख में शांति का उपाय है संयम। साध्वी अनुप्रेक्षाश्री जी ने कहा कि आत्मा को प्राप्त करना है तो हमें अपने पाँचों इंद्रियों के 23 विषयों एवं मन, वचन, काया पर संयम करना होगा। बहनों द्वारा प्रेरणा गीत का संगान किया गया। अध्यक्ष सीमा सामसुखा ने सभी का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन सीमा सामसुखा ने किया। आभार ज्ञापन प्रीति भंडारी ने किया।