साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी के प्रति मंगलकामना
साध्वी मंजुयशा
समादरणिया ‘साध्वीप्रमुखा’ पद पर सुशोभित साध्वी विश्रुतविभा जी।
तेरापंथ धर्मसंघ एक प्राणवान धर्मसघ है, अनुशासित, मर्यादित एवं संगठित धर्मसंघ है। एक आचार्य की कुशल अनुशासना में पूरा धर्मसंघ निरंतर आध्यात्मिक गति-प्रगति कर रहा है। चतुर्थ आचार्य श्रीमद्जयाचार्य ने संघ में साध्वी समाज की अभिवृद्धि को देखकर उनकी व्यवस्था कुशलता से संचालित हो इसके लिए एक सुयोग्य साध्वी को साध्वीप्रमुखा पद पर प्रतिष्ठित किया। तेरापंथ का साध्वी समाज अत्यंत सौभाग्यशाली है जिन्हें आठ-आठ साध्वीप्रमुखाओं ने अपने प्रखर व्यक्तित्व, कुशल कर्तृत्व एवं सफल नेतृत्व से पूरे साध्वी समाज को गौरवान्वित किया है व व्यवस्था कौशल एवं अपनी सुंदर कार्यशैली से हर गणनायक को पूर्ण निश्चिंत बनाया है। साध्वीप्रमुखा पद पर परमप्रतापी पूज्यप्रवर आचार्यश्री महाश्रमण जी ने मुख्य नियोजिका साध्वी विश्रुतविभाजी को नौवीं ‘साध्वीप्रमुखा’ पद पर प्रतिष्ठित किया जिससे पूरा साध्वी समाज आह्लादित है व बड़ी प्रसन्नता का अनुभव कर रहा है।
हे सतिशेखरे!
आपकी अप्रमत्तता, स्वाध्यायशीलता, आचार की पवित्रता, चारित्र की उज्ज्वलता, ज्ञान की गहनता, श्रमशीलता, गुरु के प्रति सर्वात्मना समर्पण भाव, विनययुक्त व्यवहार अटूट आस्था, मधुरभाषिता, अध्यात्मनिष्ठा आदि-आदि सद्गुणों ने पूरे धर्मसंघ पर एक अनोखी छाप छोड़ी है। आपका तेजस्वी व्यक्तित्व, वर्चस्वी कर्तृत्व एवं कुशल नेतृत्व पूरे साध्वी समाज को नई-नई दिशाएँ प्रदान करेगा।
हे साध्वी समाज की शिरोमणी।
परमपूज्य गुरुदेव श्री महाश्रमण जी ने अनंत-अनंत कृपा बरसाते हुए आप जैसी तपी-तपाई, बनी बनाई, अनुभवी साध्वी को ‘प्रमुखा पद’ प्रदान कर पूरे धर्मसंघ को धन्य-धन्य कर दिया। गरिमामय ‘प्रमुखापद’ पर सुशोभित साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी के प्रति अनंत-अनंत मंगलकामना। आपका स्वास्थ्य सदैव निरामय रहे, दीर्घकाल तक आपकी शासना मिले। आपके कुशल नेतृत्व में धर्मसंघ की हर साध्वी शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक रूप से पूर्ण स्वस्थ, आत्मस्थ एवं समाधिस्थ रहती हुई आपकी साधना को उज्ज्वल एवं पवित्र बनाए। अनंत-अनंत मंगलकामना व पवित्र भावना के साथ आपको ‘प्रमुखा पद’ प्राप्ति कर ढेर सारी अंतस्थल से बहुत-बहुत बधाईयाँ समर्पित।