अर्हम्

अर्हम्

समणी रोहिणीप्रज्ञा

पल अभिवंदन में हम शामिल
भीतर-बाहर उत्सव-उत्सव।
संघ-गगन में तारे झिलमिल
मनभावन पावन है पल नव।।

मधुरिम गीत मुखर होठों पर
मुस्कानों की मलयज फैली।
साध्वी प्रमुखा, गुरु-गरिमा वर
कीरत पसरी नयी नवेली।।

तुलसी महाप्रज्ञ ने सींचा
महाश्रमण ने दी नव आशा।
सक्षम हाथों सदा सवाया
संजीवन पा युग पातक हरषाया।।

जाते हम बलिहारी