रूपांतरण शिल्पशाला कार्यशाला

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रूपांतरण शिल्पशाला कार्यशाला

कांटाबाजी।
मुनि प्रशांत कुमार जी के सान्निध्य में रूपांतरण शिल्पशाला क्षमायाचना कार्यशाला महिला मंडल द्वारा आयोजित हुई। मुनि प्रशांत कुमार जी ने कहा कि क्षमा एक ऐसा शस्त्र है जो हमारे भीतर के शल्य को खत्म कर देता है। मन हल्का हो जाता है, भीतर का भार उतर जाता है। अनेक बीमारियों का कारण भावात्मक विचार होता है। व्यक्ति के भावों का प्रभाव शरीर पर अवश्य आता है। क्षमा जैन तीर्थंकरों द्वारा दिया गया अचूक तत्त्व है जो जीवन जीने की कला सिखाता है। आत्मा को स्वस्थ बनाता है।
क्षमावान ही महान बनता है। रात्रि सोने से पूर्व सभी जीवों से क्षमा माँग लेनी चाहिए। हर समय पूरे संसार के प्रति मंगलभाव रखें। अपने चिंतन एवं विचारों को सकारात्मक बनाएँ। मुनि कुमुद कुमार जी ने कहा कि जब तक भीतर में बैर का भाव है तब तक धर्माराधना से हमारा कल्याण नहीं होगा। क्षमा देना और लेना ये दोनों भाव बराबर रहने चाहिए। सरल मन एवं सरल जीवन दोनों आनंददायी होते हैं। धर्म हमें जीना सिखाता है। मैत्री, भाईचारे का भाव प्रत्येक धर्म की प्रेरणा है। कार्यक्रम का शुभारंभ महिला मंडल के मंगलाचरण से हुआ। विषय प्रस्तुति ज्योति हीरालाल जैन ने दी। आभार ज्ञापन बबीता जैन ने किया। कार्यक्रम का संचालन ऋतु जैन ने किया।