आत्मा में वापस लौटना ही है प्रतिक्रमण
भीलवाड़ा
अभातेममं द्वारा निर्देशित रूपांतरण शिल्पशाला ‘जाने, समझें और करें प्रतिक्रमण, फिर न हो हमसे कोई अतिक्रमण’ क्षमा पर आधारित कार्यशाला साध्वी डॉ0 परमयशा जी के सान्निध्य में आयोजित की गई। साध्वी डॉ0 परमयशा जी ने कहा कि जैन दर्शन में मंगलमय प्रभात की शुरुआत नमामी बोलकर एवं रात्रि को सोते वक्त खामेमी बोलकर की जाती है। क्षमा भाव हमें आत्मशांति एवं आत्मिक ऊर्जा से लबरेज करता है। क्षमा की साधना से व्यक्ति अध्यात्म की नव उपलब्धियाँ पाएँ और अपने जीवन को उन्नत बनाने का प्रयास करें। अध्यक्षा मीना बाबेल ने समागत श्रावक समाज का स्वागत किया। कार्यशाला में समागत सेल्फ डिफेंस कोच प्रीति लाठी का तेममं द्वारा साहित्य भेंट करके सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन सहमंत्री मनाली चोरड़िया ने किया। आभार ज्ञापन मंत्री रेणु चोरड़िया ने किया। साध्वी विनम्रयशा जी ने पर्युषण पर्व पर चंदनबाला के तेले अधिक से अधिक हो ऐसी प्रेरणा प्रदान की।