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130 सामूहिक आयंबिल तप आराधना
कांटाबाजी।
मुनि प्रशांत कुमार जी के सान्निध्य में तेममं द्वारा सामूहिक आयंबिल तप आराधना हुई। मुनि कुमुद कुमार जी ने कहा कि जैन धर्म में साधना का बहुत महत्त्व है। विभिन्न प्रकार की साधना के द्वारा पूर्व बंधे हुए कर्मों को क्षय किया जाता है। कर्मों से मुक्त होने पर आत्मा शरीर से मुक्त, दुःख से मुक्त एवं संसार से मुक्त होकर सिद्धावस्था को प्राप्त कर लेती है।
आयंबिल तप आत्मा को उज्ज्वल बनाने के साथ शरीर को आरोहण प्रदान करता है। मीडिया प्रभारी अविनाश जैन ने बताया कि तेममं के आयोजन में 130 साधकों ने आयंबिल तप आराधना की। मुनि कुमुद कुमार जी ने सामूहिक रूप से जप अनुष्ठान करवाया। ज्योति जैन ने आयंबिल के महत्त्व को बताया। अंकिता आशीष जैन ने कृतज्ञता व्यक्त की।