अवबोध
धर्म बोध
शील धर्म
प्रश्न 20 : जैनागमों में ब्रह्मचर्य की महिमा किस रूप में है?
उत्तर : जैनागमों में प्रश्नव्याकरण सूत्र में ब्रह्मचर्य की महिमा का हृदयग्राही वर्णन है। उसका कुछ अंश इस प्रकार हैµ‘ब्रह्मचर्य व्रत सदा प्रशस्त, सौम्य, शुभ और शिव है। वह आत्मा की महान् निर्मलता है। वह प्राणी को विश्वसनीय बनाता है। उससे किसी को भय नहीं होता।’
‘यह भूसी रहित धान की तरह सारवस्तु है। यह खेदरहित है। यह जीव को कर्म से लिप्त नहीं होने देता। चित्त की स्थिरता का हेतु है। तप-संयम का मूल तत्त्व है।’ इसी सूत्र में बत्तीस उपमाएँ देकर ब्रह्मचर्य को विनय, शील, तप आदि सब गुण समूह में प्रधान बताया है।
(क्रमश:)