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प्रश्न 9 : ऊनोदरी किसे कहते हैं, उसके कितने प्रकार हैं?
उत्तर : भोजन की मात्रा में कमी करना ऊनोदरी है। जिसकी जितनी खुराक है, उसमें से एक ग्रास, चार ग्रास आदि कम करने को ऊनोदरी कहते हैं, उसके पाँच प्रकार हैं-
(1) द्रव्य ऊनोदरी - जिसकी जितनी भोजन की मात्रा है, उसमें कम करना।
(2) क्षेत्र ऊनोदरी - नगर, मौहल्ला आदि में पूर्व निश्चय के अनुसार निर्धारित क्षेत्र में भिक्षा के लिए जाना, अन्यथा नहीं।
(3) काल ऊनोदरी - दिवस के चार प्रहरों में नियत समय पर भिक्षा के लिए जाना व खाना, अन्यथा नहीं।
(4) भाव ऊनोदरी - अमुक प्रकार के वर्ण या भाव से युक्त दाता से भिक्षा ग्रहण करना, अन्यथा नहीं।
(5) पर्यव ऊनोदरी - द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव में जो पर्याय (भाव) कहे हैं, उन सबके द्वारा ऊनोदरी करना।

(क्रमश:)