भगवान पार्श्वनाथ जन्म कल्याणक दिवस के विविध आयोजन
काकुतुर (आंध्र प्रदेश)
कोलकाता एवं विजयवाड़ा हाइवे स्थित 24 तीर्थंकर जैन मंदिर तीर्थधाम में साध्वी डॉ0 मंगलप्रज्ञा जी के सान्निध्य में भगवान पार्श्वनाथ की वार्षिक जन्म जयंती का आयोजन हुआ। इस अवसर पर साध्वी डॉ0 मंगलप्रज्ञा जी ने कहा कि भगवान पार्श्वनाथ चातुर्यामधर्म में अंतिम तीर्थंकर कहलाए। आगमों में भगवान पार्श्वनाथ के लिए पुरुषादानीय संबोधन का उल्लेख मिलता है। भगवान पार्श्व अध्यात्म परंपरा के संवाहक रहे हैं। जैन धर्म का मुख्य केंद्र आत्मा है। जैन कर्मवाद की भाषा में कहा जा सकता है कि कर्मों के उदय से विघ्नों का समागम होता है और आराध्य स्तुति, तीर्थंकर स्तुति से उन कष्टों का निवारण किया जा सकता है, समाधान पाया जा सकता है।
साध्वीश्री जी ने 27 दिवसीय जपाराधना करने की प्रेरणा दी एवं बीज मंत्रों के साथ जप-अनुष्ठान करवाया। इस अवसर पर तेरापंथ सभा एवं तेममं, चेन्नई की विशेष उपस्थिति रही। साध्वीवृंद ने गीत का संगान किया। कार्यक्रम में तेरापंथ सभा के पूर्व अध्यक्ष प्यारेलाल पितलिया, माधावरम् जैन तेरापंथ पब्लिक स्कूल के चेयरमैन तनसुखलाल नाहर, साहूकारपेट तेरापंथ बोर्ड अध्यक्ष विमल चिप्पड़, तेरापंथ सभा के पूर्व अध्यक्ष नथमल आच्छा एवं पारस गांधी ने विचार व्यक्त किए। अशोक लुणावत एवं मंजु दक ने पार्श्व स्तुति की। कार्यक्रम में अनेक पदाधिकारीगण एवं गणमान्यजन उपस्थित थे। तेरापंथ सभा के सहमंत्री मनोज गादिया ने आभार व्यक्त किया।