शासनमाता साध्वीप्रमुखाश्री जी के प्रति उद्गार
अर्हम
साध्वी अमितयशा
महाश्रमणी सन्निधि पाई भैक्षव गणरी पुण्याई।
हम भूल न पाएँगे तुलसी, प्रभु उपकार।।
छोटा सूरज के आँगन में स्वयं लक्ष्मी चलकर आई,
मंगलमय शुभ दीप जले हैं मानो दिवाली आई,
बंग भूमि पर जन्म लिया, बंद कुल का भाग्य खिला।।
कला पारखी श्री तुलसी अपनी नजर टिकाई थी,
कर में बे वत्सलता छैनी प्रतिमा खूब सजाई थी,
शुभ पुण्यों का योग मिला, कनकप्रभा का रूप खिला।।
स्वाध्याय सरोवर में देखा तुम डूबकी रोज लगाती थी,
ब्रह्म मुहूर्त इमस्ति बेला में ध्यान जाप करवाती थी,
पुरुषार्थी जीवन तेरा, जीवन है उज्ज्वल तेरा।।
शक्तिमयी तुम भक्तिमयी हो मातृ हृदया महाश्रमणी,
शासन माता भैक्षव गण की पारदर्शिता स्फटिक मणी,
करुणा के सागर गुरुवर, जीवनतारण है प्रभुवर।।
लय: मेहंदी रची हाथों में----