ज्ञानशाला अध्यात्म की आधारशिला
सिकंदराबाद।
तेरापंथ सभा, सिकंदराबाद के तत्त्वावधान में साध्वी डाॅ0 मंगलप्रज्ञा जी की प्रेरणा से राघवेंद्र काॅलोनी में श्रीनगर काॅलोनी क्षेत्र की ज्ञानशाला का पावन शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर साध्वीश्री जी ने कहा कि बिना लक्ष्य के की गई जिंदगी की यात्रा फलदायी नहीं बन सकती। महत्त्वपूर्ण चिंतन यह करना है कि लक्ष्य बनाया, पर सही दिशा नहीं तो लक्ष्य नहीं मिलेगा। इससे भी आवश्यक है प्रबल संकल्प हो। लक्ष्य, सही दिशा और संकल्प मंजिल प्राप्त करवाता है। ज्ञानशाला अध्यात्म का विशिष्ट उपक्रम है एवं यह संस्कार का विशिष्ट स्थान है। चैमुखी विकास का परम पथ है।
साध्वीश्री जी ने समण श्रेणी में की गई अपनी विदेश यात्रा के अनुभव को साझा करते हुए कहा कि विदेशों में बसे भारतीय परिवार अपने भावी पीढ़ी के संस्कारों के प्रति बहुत जागरूक हैं। साध्वीश्री जी ने कहा कि ज्ञानशाला की तरह ही प्रौढ़ शिक्षा आवश्यक है। स्वाध्याय, तप आदि की यात्रा में सहभागी बनें। समय की प्रबंधता के साथ अपने कार्यों का नियोजन कर चातुर्मास काल में ज्ञान, ध्यान, तप आदि की विशिष्ट साधना करें। अध्यात्म की धारा में अभिस्नात होते रहें। ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाएँ भी अच्छे श्रम का समायोजन कर रही हैं।
राघवेंद्र काॅलोनी की ओर से तिलोकचंद सिपानी ने कहा कि गुरु कृपा से हमने एक प्रबुद्ध साध्वीश्री का चातुर्मास प्राप्त किया है, हमें अधिक से अधिक लाभ लेना है। ज्ञानशाला आंचलिक संयोजिका सीमा दस्सानी ने विचार व्यक्त किए। साध्वी डाॅ0 चैतन्यप्रभा जी ने कहा कि ज्ञानशाला एक ऐसा प्रांगण है जहाँ से विकास के सोपान पर चढ़ा जा सकता है। खुद को निखारा जा सकता है। प्रकाश युक्त जीवन जीया जा सकता है। प्रशिक्षिकाओं ने गीत प्रस्तुत किया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने प्रस्तुति दी।
साध्वीवृंद ने गीत का सह संगान किया। साध्वीश्री जी के सान्निध्य में श्रीनगर काॅलोनी ज्ञानशाला के बैनर का अनावरण किया गया। इस अवसर पर सभा, सिकंदराबाद के अध्यक्ष बाबूलाल बैद, मंत्री सुशील संचेती, ज्ञानशाला प्रभारी सुनील बोहरा, आंचलिक संयोजक सीमा दस्साणी, क्षेत्रीय संयोजक संगीता गोलछा, महिला मंडल की अध्यक्षा अनिता गिड़िया, अणुव्रत समिति के अध्यक्ष प्रकाश भंडारी, तेयुप के अध्यक्ष वीरेंद्र घोषल व धर्मसभा में श्रावक समाज की अच्छी उपस्थिति रही।