शास्त्रीनगर में खिली धर्म फुलवारी
शास्त्रीनगर, दिल्ली।
उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमल कुमार जी स्वामी के प्रवास में शास्त्रीनगर में पाँचों समय धर्म-ध्यान का अनुपम रंग खिला। प्रातः 4ः30 बजे से ही सामायिक, स्वाध्याय का क्रम चलता, जिसमें भाई-बहनों की अच्छी उपस्थिति रहती। शहादरा, कृष्णानगर, त्रिनगर, मोती नगर, द्वारका से भी भाई-बहन बड़े उत्साह से समय पर पहुँचते, भक्तांमर उपसर्गहर स्तोत्र, चालीसा विविध गीतिकाएँ, अर्हम वंदना, प्रार्थना एवं वृहद मंगलपाठ से कार्यक्रम संपन्न होता। प्रातः प्रवचन, दोपहर ज्ञानचर्चा, शाम को गुरु वंदना, रात्रि में रात्रिकालीन प्रवचन जिसमें उपस्थित लोग सामायिक सहित लाभ लेते।
प्रति रविवार दोपहर से घर-घर नमस्कार महामंत्र का जप, उपवास परिवार सहित सप्ताह में एक दिन रात्रि भोजन परिहार, सामूहिक सामायिक, सामूहिक नवकारसी, नशामुकत परिवार की प्रेरणा से काफी परिवार जुड़े। नवरात्रि के अवसर पर सुबह-शाम व्यवस्थित अनुष्ठान का क्रम चला। मुनि नमि कुमार जी की 27 दिन की तपस्या के उपलक्ष्य में काफी लोगों ने एकासन उपवास बेला-तेला करके तपमय वातावरण बना दिया। मुनि कमल कुमार जी ने दो गीतों का निर्माण कर मुनि नमि कुमार जी की विविध विशेषताएँ बताई। मुनि अमन कुमार जी ने भी नमि मुनि के साहस का वर्णन किया। मुनि नमि कुमार जी ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए गुरुदेव महाश्रमण जी, शासनमाता एवं मुनि कमल कुमार जी की प्रेरणा और उपकार का विशेष उल्लेख किया। ज्ञानशाला का सत्र प्रारंभ करने से पूर्व ज्ञानार्थियों ने अर्हम् की वंदना फले, महावीर अष्टकम्, तुलसी अष्टकम् कविता, वक्तव्य से सबको मोहित कर
दिया। मुनि कमल कुमार जी ने कहा कि सभी अपने बच्चों को ज्ञानशाला की प्रेरणा दें, जिससे परिवार, समाज और संघ की गरिमा-महिमा बढ़े। इस अवसर पर तेरापंथ सभा के अध्यक्ष सुखराज सेठिया, महिला मंडल की अध्यक्षा मंजु सोनी, ज्ञानशाला के आंचलिक सह-संयोजक महिम बोथरा ने प्रशिक्षिका और ज्ञानार्थियों का उत्साहवर्धन किया। भाई-बहनों की सामायिक सहित उपस्थिति देखकर सबका मन बाग-बाग हो गया।