दुःख से मुक्ति चाहिए तो कामनाओं को छोड़ें: आचार्यश्री महाश्रमण
शाहीबाग, अहमदाबाद, 23 मार्च, 2023
अणुव्रत यात्रा प्रणेता, गुणों के महासमंदर आचार्यश्री महाश्रमण जी ने पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए फरमाया कि प्रश्न हो सकता है कि इस दुनिया में सुखी जीवन कैसे जी सकते हैं। साधु भी चित्त समाधि-शांति में रहना इच्छित कर सकते हैं। गृहस्थ तो सुखी जीवन जीने के और अधिक इच्छित हो सकते हैं। शास्त्रकार ने सुखी जीवन जीने के कुछ उपाय बताए हैं। पहली बात है कि अपने आपको बताओ। सुविधावादी मत रहो। कठिनाई को भी झेल सको, ऐसे सामर्थ्य का सृजन करो। जो व्यक्ति सुविधावादी मनोवृत्ति वाला होता है, उसे विशेष सफलता मिलना मुश्किल हो सकता है।
विभिन्न संस्थाओं में पदाधिकारी-कार्यकर्ता होते हैं, उनमें भी कठोर जीवन जीने का अभ्यास हो तो वे कार्य कृर्तत्त्व में अच्छी सफलता प्राप्त करने का कुछ आधार प्राप्त कर सकते हैं। मनस्वी और कार्यशील अपने सुख-दुःख की चिंता नहीं करता। गुरुदेव तुलसी तो बहुत छोटी उम्र में नेतृत्व करने में सक्षम हो गए थे। 22 वर्ष की उम्र में हमारे धर्मसंघ के आचार्य बन गए थे। कुछ तपस्या की हुई हो एवं तपे हुए हो। तपस्या कभी पिछले जन्म में की हुई काम आ सकती है। तपा हुआ आदमी कठोरता को सहन कर सकता है। निंदा-प्रशंसा को झेल सकता है। सुकुमारता को छोड़ें। कामनाओं को छोड़ें, कामनाएँ दूर हो गईं तो दुःख दूर हो सकता है। किसी से ईर्ष्या न करें। प्रमोद भावना रखें। मनुष्य अनपेक्षित मनोवृत्ति वाला न बने तो सुखी रह सकता है।
साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुविभा जी ने कहा कि शास्त्रज्ञ वह होता है, जिसके मन में शांति होती है। सब शास्त्रों का एक ही सार है-शांति। शांति में रहने का अच्छा उपाय है-वर्तमान में रहना। मन एकाग्र होगा तो अध्ययन कर पाएँगे। एकाग्रता के लिए लंबा अभ्यास और प्रयोगों के साथ जुड़ा होना होगा। साध्वीवर्या सम्बुद्धयशा जी ने कहा कि जो ताकतवर होता है, वही मुसीबतों का सामना कर सकता है। जो व्यक्ति सहनशील, सहिष्णु होता है, वही स्थिति का सामना कर सकता है। सहिष्णुता से जीवन में क्षमा का गुण आता है। जो सहता है, वह रहता है।
डॉ0 धवल शाह, धीरज मरोठी, ।चपा भ्वेचपजंस से डॉ0 अनिल जैन ने अपनी भावना श्रीचरणों में अभिव्यक्त की। राजेंद्र बोथरा ने भी अपनी भावना अभिव्यक्त की। डॉ0 काबरा, डॉ0 उपेंद्र, डॉ0 कल्पना जैन, डॉ0 रूपकुमार अग्रवाल, डॉ0 हसमुख, डॉ0 विमल रांका आदि चिकित्सा सेवा देने वाले डॉक्टरों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।