मानव जीवन रूपी अनमोल पूंजी व्यर्थ न गंवाएँ: आचार्यश्री महाश्रमण
बड़ोदरा, 8 अप्रैल, 2023
महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमण जी प्रातः लगभग 14 किलोमीटर का विहार कर बडोदरा के उत्तरी भाग से दक्षिण भाग में पधारे। पावन प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए महामनीषी ने फरमाया कि हम सब मनुष्य गति में हैं। चार गतियाँ बताई गई हैं-नरक, तिर्यंच, मनुष्य और देवगति। इन चार गतियों में सभी सांसारिक जीवों का समावेश हो जाता है। शेष जीव जो बचते हैं, वो सिद्ध होते हैं। वे जन्म-मरण की परंपरा से मुक्त हो गए हैं। मनुष्य मरकर वापस चारों गति में जन्म ले सकता है तो कोई-कोई मोक्ष में भी जा सकता है। हमें मनुष्य जन्मरूपी महत्त्वपूर्ण पूँजी प्राप्त है। इस पूँजी को कोई व्यर्थ गँवा सकता है, तो कोई मूल को सुरक्षित रख सकता है, कोई-कोई तो इसे और अधिक बढ़ा सकता है।
जीवन में अगर शिक्षा नहीं ग्रहण की तो एक कमी रह सकती है। वह माता शत्रु और पिता दुश्मन है, जो अपने बच्चे को शिक्षा नहीं दे पाता है और अच्छे संस्कार देने का प्रयास नहीं करता है। हमारे जीवन में भाग्य भी अपना काम करता है। बिना भाग्य के कई बार विशेष मिलना मुश्किल है। भाग्य होने पर पग-पग पर निदान होता है। धर्म की दृष्टि से तीर्थंकर हमारे पिता के समान हैं। उनसे हमें जो मिला है, उसका अच्छा उपयोग करें। मनुष्य गति हमारी मूल पूँजी है। बुरे काम करने वाले नरक या तिर्यंच गति में पैदा होते हैं। मनुष्य गति में हम धर्म कर संवर व निर्जरा को प्राप्त करें।
हमारी अणुव्रत यात्रा चल रही है, इसमें हम सद्भावना, नैतिकता, नशामुक्ति का प्रचार कर रहे हैं। कार्यकर्ता जो अणुव्रत से संबंधित हैं, वे भी जगह-जगह लोगों को समझाने का प्रयास कर रहे हैं। जीवन में अच्छे संस्कार हों। धर्म की दिशा में और आगे बढ़ने का प्रयास करें। प्रेक्षाध्यान, जीवन विज्ञान व ज्ञानशाला के माध्यम से भी अच्छे संस्कार आ सकते हैं। ये सब लोक-कल्याणकारी है। आध्यात्मिक उन्नयन करने का प्रयास करें। स्कूल के विद्यार्थी वेद पटेल ने पूज्यप्रवर के दर्शन किए। बड़ोदरा म्यूनिसिपल के चेयरमैन डॉ0 हितेंद्र भाई ने पूज्यप्रवर के दर्शन कर अपनी भावना अभिव्यक्त की। व्यवस्था समिति द्वारा हितेंद्र भाई का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।