भवसागर से तरने के लिए करें धर्म की साधना: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

भवसागर से तरने के लिए करें धर्म की साधना: आचार्यश्री महाश्रमण

मोगर, आणंद (गुजरात) 4 अप्रैल, 2023
जिन शासन प्रभावक आचार्यश्री महाश्रमण जी प्रातः लगभग 14 किलोमीटर का विहार कर अपनी धवल सेना के साथ मोगर के एच0एस0 महिदा हाई स्कूल में पधारे। मंगल देशना प्रदान करते हुए महामनीषी ने फरमाया कि शास्त्र में शरीर को नौका कहा गया है। हमारे धर्मशास्त्रों में बहुत आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है। सुखी जीवन जीने के सूत्र प्राप्त होते हैं। सृष्टि व तत्त्व के बारे में भी शास्त्रों में बातें मिलती हैं। संसार अरणव में जन्म-मरण का चक्र चल रहा है। कई जीव अनंत काल से संसार सागर में भ्रमण कर रहे हैं, तो कई जीवों का भ्रमण पार भी आ सकता है। इस संसार को तरने के लिए शरीर रूपी नौका उपयोग करो। मानव शरीर से उच्च कोटि की अध्यात्म साधना की जा सकती है। शरीर का उपयोग संयम-संवर की साधना और तप में करें।
धर्म की साधना के लिए शरीर एक साधन है। जब तक शरीर सक्षम है, तब तक साधना कर लो। बुढ़ापा और बीमारी अक्षमता के कारण है। इंद्रिय शक्ति कमजोर पड़ने से भी अक्षमता आ सकती है। इन तीनों स्थितियों में धर्म की साधना संभव नहीं है। हम संसार रूपी समुद्र को तैरना सीख लें। धर्म के द्वारा व सम्यक् दर्शन, ज्ञान और चारित्र द्वारा संसार सागर को तरा जा सकता है। शरीर नाव है, जीव नाविक है और संसार अरणव है। इसको महर्षि लोग तर जाते हैं। आज यहाँ मोगर के विद्या संस्थान में आए हैं। यहाँ अनेक विषय पढ़ाए जाते हैं, इसके साथ में अच्छे संस्कार भी विद्यार्थियों में पुष्ट हों। विद्यालय का उन्नयन होता रहे। पूज्यप्रवर के स्वागत में विद्यालय परिवार से जसवंत सिंह सोलंकी ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। व्यवस्था समिति व अणुविभा द्वारा विद्यालय परिवार का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।