अर्हम

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मुनि मोहजीत कुमार

तेरापंथ धर्मसंघ में 20वीं एवं 21वीं सदी के संतों की कड़ी में प्रो0 मुनि महेंद्र कुमार जी स्वामी का अपना विशिष्ट स्थान था। मुनि महेंद्र कुमार जी स्वामी ने आचार्य तुलसी के करकमलों से संयम रत्न ग्रहण कर अपने जीवन के प्रत्येक क्षण को ज्ञान, ध्यान, स्वाध्याय एवं आगमों का तलस्पर्शी अध्ययन के साथ संपादन सहयोग एवं अंग्रेजी भाषा में अनुवाद कर संघ की गौरव वृद्धि की। आगम मनीषी मुनि महेंद्र कुमार जी स्वामी का व्यक्तित्व और कर्तृत्व धर्मसंघ की अमूल्य निधि थी। उनकी मेधा और स्फूरणा के लिए समूचा धर्मसंघ कायर है। उनकी ज्ञान की समृद्धि अतुल्य थी। उन्होंने निरपेक्ष भाव से जो कार्य किया वह धर्मसंघ की थाती के रूप में सदियों तक स्मृति का आधार रहेगा।
बहुश्रुत परिषद के संयोजक मुनि महेंद्र कुमार जी का समृद्ध चिंतन संघ की अनेक विकासशील प्रवृत्तियों में योगभूत बना रहा। उनकी निष्पृहता अपने आपमें उल्लेखनीय उदाहरण है। तेरापंथ धर्मसंघ के नवम्, दशम् अधिशास्ता तथा वर्तमान अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण जी की कृपा का सत्त्व उन्हें अपने भाग्य से वरदायी रहा। ऐसी महान विभूति का प्रयाण धर्मसंघ के लिए एक स्थान की रिक्तता का अनुभव कराता रहेगा। मैं अपने भावों को ससीम में समेटता हुआ, उनके भावी भव के उत्थान की आध्यात्मिक मंगलकामना करता हूँ।