आत्मा के उद्गार
आत्मा के उद्गार
मुनि श्रेयांस कुमार
बहुश्रुत परिषद के रहे, संयोजक सुखकार।
मुनि महेंद्र पर रही सदा, गुरु की कृपा अपार।।
गुरुवर श्री महाश्रमण का, मुंबई चातुर्मास।
लंबे समय से थी उन्हें, दर्शन की शुभ आश।।
पर अचानक छोड़ चले, मुनि महेंद्र कुमार।
दर्शन की मन में रही, जुड़ा गुरु से तार।।
साझ बनाया तब दिया, धर्मरुचि श्रेयांस।
साहु शांति श्रेयांस फिर, रहे मुनिवर के पास।।
विद्वत जन रहते चकित, जब करते अवधान।
राष्ट्रपति कलाम भी, देख विद्वता ज्ञान।।
तीन-तीन आचार्यों की, कृपा मिली अपार।
सेवा में तल्लीन रहे, मुनि अजीत कुमार।।
अभिजीत जागृत सिद्ध को, किया सदा तैयार।
अजीत मुनि व जम्बू को, दिए नये संस्कार।।
गुरुवर श्री तुलसी गणि, दीक्षा दाता खास।
महाश्रमण ज्यों नित मिला, जीता दिल विश्वास।।
हँसमुख सबसे बोलते, मुनि महेंद्र गुणवान।
धर्मसंघ में थी अरे! एक नई पहचान।।
श्रद्धांजलि अर्पित करे, मुनि श्रेयांस कुमार।
आत्मा मुक्ति को वरे, आत्मा के उद्गार।।