वीतरागाय नमः
शासन गौरव साध्वी राजीमती
शासनश्री, बहुश्रुत परिषद के संयोजक मुनि महेंद्र कुमार जी!
आज वे हमारे बीच नहीं रहे यह जानकर फिर एक बार जीवन की अनित्यता का साक्षात्कार हुआ।
- यों तो आठों ही कर्मों के भोग में कठिनाई होती है, परंतु असातवेदनीय और अंतरायकर्म ये दो विशेष बाधक बनते हैं।
मुनिश्री पूना तक जाकर भी गुरुदर्शन नहीं कर सके और पूज्यवर के दर्शनों की प्रतीक्षा भी नहीं कर सके।
- मुनि महेंद्र कुमार जी का व्यक्तित्व संघ में प्रतिष्ठित था। वे आचार्यों के कृपापात्र, विश्वासी एवं गहन चिंतक के रूप में स्वीकृत थे।
- मुनि महेंद्र कुमार जी जैन शासन में जाने-माने एक प्रबुद्ध संत थे।
- जब उनकी सुजानगढ़ में दीक्षा हुई तब मैंने अनेक लोगों से सुना कि आज हमारे तेरापंथ धर्मसंघ में एक वैज्ञानिक साधु बना है। लोक थुथकारा डाल रहे थे।
- प्रेक्षाध्यान के जन्म के साथ जेठाभाई जवेरी और मुनि महेंद्र कुमार जी जुड़े हुए थे। मानो कि वे प्रेक्षामय हो गए थे। ध्यान की वैज्ञानिक उपयोगिता बताने वाले उस समय प्रथम थे। आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी उनके इस विषय में दिशा-निर्देशक तो थे ही।
- जीवन विज्ञान की उपज में खाद देने वाले मुनियों में एक थे मुनि महेंद्र कुमारजी।
- अब्दुल कलाम जैसे वैज्ञानिक को जैन धर्म, तेरापंथ और मानव धर्म (अणुव्रत) उनकी भाषा में समझाने वाले थे मुनि महेंद्र कुमारजी।
- संघीय विकासी हर चिंतन में लगभग अपना एक चिंतन देते थे मुनि महेंद्र कुमारजी।
- धर्मसंघ की, आचार्यों की प्रभावना में निरंतर लगे रहने वाले थे मुनि महेंद्र कुमारजी।
- स्वाध्याय के पाँचों ही प्रकारों के अच्छे साधक थे मुनि महेंद्र कुमारजी!
- उस ज्ञान वृक्ष के पास उपयोगी ज्ञान फल देने की कला थी उसका एक प्रमाण है सहवर्ती संतों का निर्माण।
- धन्य है इन सहवर्ती संतों को जो मुनिश्री की संयम यात्रा, आगम यात्रा तथा स्वास्थ्य यात्रा में चित्त समाधि पहुँचाते रहें।
- मुनि अजित कुमारजीµतपस्वी, ज्ञानी एवं सेवाभावी।
- मुनि जम्बूकुमारजीµआपके लिए कितना कल्याणकारी एवं उपकारी रहा मुनिश्री का सान्निध्य।
- मुनि अभिजीत कुमारजीµमुनिश्री के प्रेरणा पाथेय को सार्थकता देते रहें। रिक्तता भरते रहें।
- मुनि जागृतकुमार जी एवं मुनि सिद्धकुमारजी!
मुनि महेंद्र कुमार जी के उपकारों से उऋण होने के उपायों को खोजते रहें तथा उनकी तरह पाँचों ही संत गुरुदृष्टि की आराधना करते हुए धर्मसंघ की सेवा करते रहें।
- मुनि महेंद्र कुमारजी ने मुंबई में जन्म लिया, मुंबई में ही उच्च शिक्षा प्राप्त की और अपनी संयम यात्रा को भी यहीं संपन्न किया।
- मुनिश्री की मेरे पर बहुत कृपा थी। मैंने जब-जब कोई प्रश्न पूछा, चिंतन माँगा तो आपने सम्मान के साथ समाधान दिया।
- मैंने एक पत्र भी लिख रखा था जिसे पूज्यवर के पधारने पर देना था। योगक्षेम वर्ष पर आप और मैं रहूँ या नहीं, आप कुछ बातें निवेदन इस प्रलंब समय में करना।
- मुनिश्री भगवती सूत्र के गहन ज्ञान जल में डुबकियाँ लगाते-लगाते, किनारे पर पहुँचते-पहुँचते कुछ पायदान शेष छोड़कर चले गए।