गीत
शासनश्री मुनि विजयकुमार
मुनि महेंद्र तजकर सब कुछ हो गए रवाना है,
कोई पूछे वे कहाँ आज, मालूम न ठिकाना है।।
अध्यात्म और विज्ञान उभय से जुड़ा हुआ जीवन,
थी विशेषताएँ अनगिन सबने यह माना है।।1।।
था अद्भुत समय प्रबंधन, अवसर न व्यर्थ खोते,
संदेश दिया, श्रम करके निज भाग्य बनाना है।।2।।
बी0एस0सी0 करके दीक्षा ली भैक्षव शासन में,
श्रद्धा से गौरव गाता यह सकल जमाना है।।3।।
आगम मनीषी मुनिवर, ज्ञानी प्रेक्षा ध्यानी,
उज्ज्वल इतिहास बना जो पड़ता न पुराना है।।4।।
व्यक्तित्व अनूठा था वह नहीं भूल कभी सकते,
मुनिवर के उच्च गुणों को हमको अपनाना है।।5।।
बहुश्रुत परिषद संयोजक था स्थान उच्च पाया,
है ‘विजय’ नाम अधरों पर सबका पहचाना है।।6।।
लय: प्रभु पार्श्वदेव चरणों में शत-शत प्रणाम हो---