मंगलभावांजलि

मंगलभावांजलि

शासनश्री साध्वी यशोधरा

आगम मनीषी प्रेक्षा प्रोफेसर बहुश्रुत परिषद् के संयोजक मुनि महेंद्र कुमार जी के देवलोकगमन से तेरापंथ धर्मसंघ की अपूरणीय क्षति हुई है। उन्होंने जिनशासन की बहुआयामी सेवा की है तथा भिक्षु शासन की श्रीसुषमा बढ़ाने में अतिशायी योगभूत बने हैं। वे सारे प्रसंग अविस्मरणीय एवं अनुकरणीय हैं। मुनि विरल विशेषताओं के समवाय थे। उनका समर्पण भाव विशिष्ट था। अद्भुत थी उनकी क्षमता, अद्भुत थी उनकी समता और अद्भुत थी उनकी ममता। प्रबुद्धता के बावजूद अहंकारशून्य मानो उन्हें स्वभाव में ही प्राप्त थी। स्वास्थ्य यथेष्ट अनुकूल न होने पर भी उन्होंने सदैव अप्रमत्त भाव से क्षण-क्षण का उपयोग कर गण भंडार को भरा है। वे धन्य थे, कृत पुण्य थे, जिन पर तीन-तीन आचार्यों की कृपादृष्टि की अमृतवर्षा अविराम बरसती रही। आर्यत्रयी की वरदायी छत्रछाया में मुनि जीवन की सफल आराधना कर वे कृतकाम हो गए। जिस सिंहवृत्ति से उन्होंने संयम यात्रा प्रारंभ की उसी सिंह वृत्ति से संपन्न की है। ‘ज्यों की त्यों धर दीन्हीं चदरिया’ इस कहावत को सार्थक कर दिखाया। दिवंगत आत्मा के आध्यात्मिक ऊर्ध्वारोहण की मंगलकामना।