आचार्यश्री तुलसी का महनीय अवदान है - अणुव्रत

संस्थाएं

आचार्यश्री तुलसी का महनीय अवदान है - अणुव्रत

गंगाशहर।
तुलसी शांति प्रतिष्ठान समाधि स्थल परिसर में गुरुदेवश्री तुलसी की मासिक पुण्यतिथि पर मुनि चैतन्य कुमार जी ‘अमन’ ने कहा कि आचार्यश्री तुलसी का महनीय अवदान है-अणुव्रत। नैतिकता और चरित्र के पुनरुत्थान में अणुव्रत आंदोलन का विशेष योगदान रहा है। प्रत्येक आंदोलन का एक आदर्श होता है। अणुव्रत का आदर्श है-संप्रदायातीत मानव धर्म का प्रवर्तन। जो मानवीय हितों को बल देने वाला है। अहिंसा, शांति, सद्भाव, मैत्री को बढ़ावा देने वाले इस आंदोलन ने व्यक्ति, समाज और राष्ट्र की दूरियों को कम करने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है। मुनि चैतन्य कुमार जी ने कहा कि उपासना तो बढ़ी है किंतु आचरण युक्त धर्म घट रहा है। इंटरनेट, मोबाइल के इस युग में संस्कारों की हानि हो रही है। आपसी व्यवहार छूट रहे हैं। आचरण शून्य धर्म व्यक्ति को भटकाव तथा भुलावे की ओर ले जा रहा है। अतः गुरुदेवश्री तुलसी के अनुसार धर्म को उपासना के साथ आचरण में लाने का प्रयास करने की आवश्यकता है।
मुख्य वक्ता डॉ0 बबिता जैन ने कहा कि आचार्य तुलसी के अवदानों में एक अवदान है-शिक्षा। शिक्षा जगत में मान्य संस्थान जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय जैन धर्म दर्शन को समर्पित है। जिसके माध्यम से अनेक छात्र-छात्राओं ने जैन विद्या और जीवन विज्ञान के क्षेत्र उत्कृष्ट कार्य किया है और कर रहे हैं। दार्शनिक और प्रायोगिक शिक्षा से आज के युवाओं में परिवर्तन घटित हो रहा है। जैन और जैनेत्तर वर्ग के विद्यार्थी युवा इसके माध्यम से अपना अच्छा कैरियर बनाने के लिए प्रयत्न करें। मुनि श्रेयांस कुमार जी ने गुरुदेव तुलसी की अभ्यर्थना में गीत प्रस्तुत किया। मुनि प्रबोध कुमार जी, मुनि विमल विहारी जी ने विचार व्यक्त किए। मंगलाचरण महिला मंडल ने गीत के संगान से किया। शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष हंसराज डागा ने स्वागत किया। आभार संस्थान के मंत्री किशन बैद एवं कार्यक्रम का संचालन कविता जैन ने किया।