सहज साधुता व फक्कड़ बाबा का जीवंत रूप थे - मुनि महेंद्र कुमारजी
सहज साधुता व फक्कड़ बाबा का जीवंत रूप थे - मुनि महेंद्र कुमारजी
तेरापंथ धर्मसंघ में अनेक सेवाभावी, तपस्वी, विद्वान और आत्मार्थी संत हुए हैं। जिन्होंने अपना जीवन संघ सेवा में समर्पित कर दिया। इन्हीं समर्पित संतों में एक विशिष्ट नाम है-आगम मनीषी मुनि महेंद्रकुमारजी स्वामी।
- तेरापंथ के वरिष्ठ व प्रभावशाली संतों में एक थे।
- 18 भाषाओं को जानने वाले एकमात्र संत थे।
- मुंबई से दीक्षित प्रथम संत थे।
- इंजीनियरिंग जैसी डिग्री प्राप्त प्रथम संत थे।
- अध्यात्म व विज्ञान की तुलनात्मक प्रस्तुति देने वाले श्रेष्ठ संत थे।
- वर्तमान संतों में सर्वाधिक ज्ञानी संत थे।
- सहज साधुता व फक्कड़ बाबा का जीवन रूप थे मुनि महेंद्र कुमारजी स्वामी।
ऐसे तेजस्वी, ओजस्वी, वर्चस्वी व यशस्वी मुनिप्रवर को जब भी मैं वंदना करता वह मुझसे गुजराती में बात करते थे। यदा-कदा कहा करते थे कि मेरे बाद के अभी कच्छी संत तुम ही हो। कच्छ के लोगों की तरह तत्त्वज्ञान करना है। मंत्री मुनिश्री की खूब सेवा करना है। उन्हें पूरी चित्त समाधि पहुँचाना है।
मुनि महेंद्रकुमारजी स्वामी आज हमारे बीच में नहीं रहे परंतु उनकी विरल विशेषताएँ और हित शिक्षाएँ उनकी विद्यमानता को जीवंत कर रही हैं।
बहुश्रुत परिषद के संयोजक मुनि महेंद्रकुमारजी स्वामी का परमपूज्य आचार्यप्रवर से मिलन से पूर्व देवलोकगमन हो गया। लोग कहते हैं आचार्यश्री के दर्शन की भावना मन की मन में रह गई। मेरा मुनिप्रवर से पूछना है कि द्रव्य महेंद्र से भाव महेंद्र बनने की इतनी क्या जल्दी थी?
मुनि अजितकुमारजी स्वामी, मुनि जम्बूकुमारजी स्वामी, मुनि अभिजीतकुमारजी, मुनि जागृतकुमारजी और मुनि सिद्धकुमारजी का सौभाग्य था कि उन्हें ऐसे महाज्ञानी संतों का सान्निध्य मिला। सेवा करने का सुअवसर मिला।
महान् आगमज्ञ मुनिप्रवर की आत्मा शीघ्र सिद्ध, बुद्ध, मुक्त बने, यही अंतर भावना।