अर्हम्

अर्हम्

अर्हम्
तेरापंथ की नवमी साध्वीप्रमुखाजी की महिमा अपरंपार।

अध्यात्म की महालक्ष्मी के चरण कमल में वंदन बारंबार।।

अध्यात्म के नवप्रभात की बाज रही मंगल शहनाई।
ज्योतिपुंज के ज्योतिचरण की तुम अद्भुत अरुणाई।
शुभकामना शुभभावना की बढ़ती रहे तब तरुणाई।
संयम की दीपशिखा का हम करते पग-पग जयकार।।1।।

श्री महाप्रज्ञ वाङ्मय का संपादन कर रच दिया नव इतिहास।
गुरु की खरी कसौटी पर निखरा एक अक्षय विश्वास।
श्री तुलसी महाप्रज्ञ महाश्रमण गुरु का मिला दिव्यतम प्रकाश।
हर पल हर घड़ी तुमसे जुड़ता रहे मंगलमय संसार।।2।।

कोहिनूर हीरे के कुशलपारखी को लखदाद है।
सूरत की पुण्यधरा पर बजा रहे श्वेत शंखनाद।
तेजस्वी आभामंडल में एक ही मंगल फरियाद।
रिद्धि सिद्धि सारी निधियाँ मिलकर बजा रही झंकार।।3।।