अमृत महोत्सव पर विशेष

अमृत महोत्सव पर विशेष

अक्षयकोष महाश्रमण, तीर्थंकर समउपकारी।
तीर्थंकर समउपकारी, जय नेमा नंदन मनहारी हो।।

मंत्री मुनिवर मुखारविंद स्यंू, छोटी वय में दीक्षा।
झूमर कुल रो नाम दीपायो,
हुई खूब परीक्षा।
अभिनंदन मय गणिराज है,
भैक्षव शासन का ताज है।
वीतराग सी प्रतिमूर्ति भव बंधन क्षयकारी हो।।

तेजस्वी ललाट विराट व्यक्तित्व प्रेरणा संबल,
कलाकृतियाँ तुलसी जैसी उपकृत गण नंदनवन,
आभामंडल मुस्कान है अनुकंपा पहचान है।
करी यात्रा नेपाल भूटान पहुँचे कन्याकुमारी हो।।

युग प्रधान युग चिंतक प्रहरी युग के एक सहारे।
देवा सुर नर अमृत महोत्सव आए द्वार तुम्हारे।
प्यारो विश्व सितारों है गण उजियारो है।
युग युग जीओ चिंतामणि मनवांछित फले हमारी हो।।

लय: स्वामी जी थारी साधना