कन्यादान आखिर क्यों? का आयोजन
हासन
तेरापंथ महिला मंडल के तत्वावधान में आचार्यश्री तुलसी का 27वां महाप्राण दिवस विसर्जन दिवस के रूप में हर्षेाल्लास से मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ बहनों ने तुलसी अष्टकम से किया। अध्यक्ष संगीता कोठारी ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि हमें इस मंगल दिवस पर आडंबर का, व्यक्तिगत संग्रह का, समय का, ममत्व का विसर्जन कर अध्यात्म को अपनाने का प्रयास ही आचार्यश्री तुलसी के श्री चरणों में सच्ची श्रद्धांजलि होगी। गुरुदेव तुलसी को स्मरण करते हुए दस मिनट तक सामूहिक जाप किया गया और उसके बाद विसर्जन चेतना को जगाने का प्रयोग किया गया। 50 बहनों ने परिग्रह विसर्जन संकल्प फॉर्म भरे।
'कन्यादान आखिर क्यों?' पर भाषण प्रतियोगिता रखी गई, जिसमें सपना सुराणा ने कन्यादान का मतलब बताते हुए कहा- कन्या कोई वस्तु नहीं कि उसका दान हो उसका तो आदान होता है। नम्रता सुराना ने कन्यादान संस्कृत का शब्द है- देना। हमें विचार करने योग्य बात है कि कन्या का ही दान क्यों।? संतोष भंसाली ने कहा कि कन्यादान इसलिए किया जाता क्योंकि वह इतनी सक्षम और मजबूत है कि वह कहीं कार्य करके भी दो घर को संभाल लेती है।
सूरज तातेड़ ने कहा कि पिता के गोत्र से पति के गोत्र में बदलती है। कन्यादान होते ही पिता का हक नहीं रहा ऐसी सोच ना रहे। संजू बरलोटा ने कहा कि अलौकिक तुष्टि में सबसे बड़ा दान कन्यादान है, दूसरे परिवार को जिम्मेदारी सौंपने का नाम है- कन्यादान। ममता कोठारी ने गुरुदेव तुलसी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा- विसर्जन दो प्रकार के होते हैं- बाह्य परिग्रह विसर्जन और आंतरिक परिग्रह विसर्जन। इसके साथ ही उन्होंने कार्यक्रम का सुंदर संचालन किया।