स्वस्थ समाज के निर्माण का महत्वपूर्ण सूत्र है-विसर्जन

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स्वस्थ समाज के निर्माण का महत्वपूर्ण सूत्र है-विसर्जन

जयपुर
अखिल भारतीय महिला मंडल द्वारा निर्देशित तथा तेरापंथ महिला मंडल जयपुर द्वारा आयोजित युगप्रधान आचार्यश्री तुलसी का 27वां महाप्रयाण दिवस 'विसर्जन दिवस' के रूप में मनाया गया। ‘शासन गौरव’ साध्वी कनकश्री ने स्थानीय तिलकनगर के सौभाग्यविला में आयोजित इस महत्वपूर्ण संगोष्ठी में विसर्जन की चेतना जगाने की प्रेरणा दी। साध्वीश्रीजी ने ममत्व विसर्जन, आसक्ति विसर्जन की प्रेरणा देते हुए अनावश्यक संग्रहवृत्ति को कम करने की प्रेरणा दी। इसके लिए इच्छाओं का अल्पीकरण व भोगोपभोग का संयम करना अत्यन्त जरूरी है।
विसर्जन को स्वस्थ समाज की संरचना का मौलिक प्रकल्प बताते हुए साध्वीश्री ने कहा कि विद्वान और साधु-संतों जैसों के लिए भी अहंकार व सत्ता का त्याग करना बहुत कठिन है। गुरुदेव तुलसी ने उस समय आचार्यपद का त्याग कर युवाचार्य महाप्रज्ञ को आचार्यपद पर प्रतिष्ठित कर दिया, जिस समय उनका तेज और प्रताप दोपहर के सूरज की भांति प्रखरता से तप रहा था। अ. भा. ते. म. मंडल की पूर्व अध्यक्ष पुष्पा बैद ने अपने मंजेे हुए विचार प्रस्तुत करते हुए बहिनों को भोगोपभोग सामग्री के अल्पीकरण की तथा विसर्जन की प्रेरणा दी। 'हमारी जीवन यात्रा हल्केपन के साथ हो और हमारा यात्रा-पथ ज्योतिर्मय हो' यह चिंतन संगोष्ठी के प्रथम सत्र की मुख्य थीम रही।
संगोष्ठी के दूसरे सत्र की चर्चा का विषय था 'कन्यादान क्यों?’ पुष्पा बैद ने विषय पर अपने महत्वपूर्ण विचार रखे। प्रासंगिक विषय पर चर्चा स्पर्धा में प्रतियोगी सुमन बोरड़ प्रथम विजेता रही। कौशल्या जैन ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। विजेता प्रतियोगी बहनों को मंडल की तरफ से सम्मानित, पुरस्कृत किया गया। संगोष्ठी में बहिनों का उत्साह और उल्लास शुभ भविष्य का सूचक था। कार्यक्रम की सफलता में अध्यक्षा निर्मला सुराणा का जागरूक श्रम बोल रहा था। साध्वी कनकश्रीजी ने विशेष प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए कहा- चालू वर्ष्ा जहां देश की आजादी का अमृत महोत्सव वर्ष है, वहां 'अणुव्रत' का भी अमृत महोत्सव वर्ष है, साथ ही महान अध्यात्म विभूति युगप्रधान आचार्य महाश्रमण का 50वां दीक्षा कल्याण महोत्सव वर्ष है। अत: अपेक्षा है हम सब संयम-तप व त्याग के द्वारा स्वयं को ऊर्जावान बनाएं। ध्यान, स्वाध्याय आदि आध्यात्मिक उपक्रमों द्वारा अपनी आंतरिक शक्तियों को जगाएं। साध्वी मधुलताजी ने दीक्षा कल्याण वर्ष्ा में गुरुदेव द्वारा श्रावक-श्राविकाओं के लिए निर्दिष्ट साधना सूत्रों को विस्तार से समझाया और संयम-त्याग के अभ्यास की प्रेरणा दी।