आत्मा को मोक्ष से जोड़ने वाली प्रवृत्ति का नाम है योग - आचार्यश्री महाश्रमण
मलाड 21.06.2023
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस ds volj ij योग साधक योगीश्वर ने पावन प्रेरणा प्रदान कराते हुए फरमाया कि आज 21 जून अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस है। योग शब्द बहुत अर्थवान है। जैन दर्शन में योग की परिभाषा की गयी शरीर, वाणी और मन की प्रवृति योग है। यह एक तात्विक परिभाषा है। आज योग दिवस की अलग परिभाषा है। यह योग साधना से जुड़ा हुआ है, जो आसन-प्राणायाम, ध्यान आदि की साधना है। पतंजलि का अष्टांग योग है, जिसमें अहिंसा आदि से लेकर आसन प्राणायाम तक समाहित हो गया है। महान जैनचार्य हेमचंद्र सूरी का कथन है कि मोक्ष का जो उपाय है, वह योग है, वह है सम्यक् ज्ञान सम्यक् दर्शन्ा और सम्यक् चारित्र।
योग यानि जुड़ाव होना। हमारी आत्मा को मोक्ष से जोड़ने वाली जो भी सारी धार्मिक प्रवृति है, वह योग है। इन संदर्भों में देखें तो योग शब्द बहुत व्यापक है। श्रीमद् भगवद् गीता में समता को संक्षेप में योग कहा गया है। हर परिस्थिति में समता रखना महान योग है। ध्यान साधना में एक आसन में बैठे रहना भ्ाी योग है। हमारे यहां प्रेक्षाध्यान पद्धति प्रचलित है। सुख शांति पाने का बड़ा उपाय है, जीवन में समता रखना। खुश होने और प्रसन्न होने में अंतर है। परिस्थिति सापेक्ष जो सुख है, वह अलग चीज है और भीतर से उठने वाला आनंद अलग चीज है। वर्तमान में जीने वाला समता का साधक हो सकता है। समता योग के द्वारा आतंरिक शांति प्राप्त हो सकती है।
भारत के पास जो अध्यात्म योग साधना की प्रणाली है, यह अच्छी बात है। भोग दिवस नहीं मनाया जाता पर योग दिवस मनाया जाता है। योग की गहराई में जाने के लिए ध्यान की साधना, चित्त की गहराई में जाना और परम के साथ अपने चित्त को जोड़ देना। हमारे यहां भी योग साधना के रूप में प्रेक्षाध्यान कैंप चलते हैं। भावक्रिया, प्रतिक्रिया विरति, मैत्री, मिताहार औj मित भाषण की साधना होती है।
योग साधना जीवन शैली के साथ जुड़ जाए। अध्यात्म की साधना, सामायिक आदि में कुछ समय लगाएं। व्यस्त तो हम भले हो जाएa, पर दिमाग अस्तव्यस्त नहीं हो जाए। तनाव ज्यादा न हो जाए। राजनीति में रहते हुए भी धर्म नीति रखें। धर्म का योग, अध्यात्म का योग, समता का योग हमेशा साथ में रहे। अणुव्रत को स्वीकार करें। पूज्यवर ने योग साधना का प्रयोग करवाया। आज श्रीचरणों में पहुंची साध्वी काव्यलताजी के सिंघाड़े को प्रेरणा प्रदान करते हुए पूज्यवर ने फरमाया कि कई वर्षों बाद साध्वियां गुरुकुलवास में आई हैa। तीनों साध्वियां खूब धर्म प्रभावना करती रहेa।
साध्वीवर्याजी ने कहा कि हमारे जीवन की चार अवस्थाएं हैa बालक अवस्था, किशोरवस्था, युवावस्था औैर वृद्धावस्था। जीवन में अनेक समस्याएं आ सकती है। बुढ़ापा आने से पहले धर्मासाधना कर लें। जाग गये हो तो प्रमाद मत करो। साध्वी दीप्तियशाजी, साध्वी काव्यलताजी ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। साध्वी काव्यलताजी के सिंघाड़े ने समूह गीत से पूज्यवर की अभिवंदना की। मुंबई से बीजेपी के प्रवक्ता विनोद शेलार, विधायक अतुल भातखलकर, शारदा ज्ञानपीठ इंटरनेशनल स्कूल से शारदा प्रसाद ने पूज्यवर के स्वागत में अपने भाव व्यक्त किये। तेयुप, तेरापथ किशोर मंडल एवं उपासकवृंद ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। तेरापंथ कन्या मंडल ने अपनी प्रस्तुति दी।