अपनी इन्द्रियों को जीत कर परम विजय को प्राप्त कर सकते हैं: आचार्यश्री महाश्रमण
दfहसर, 24 जून 2023
भैक्षव शासन के महासूर्य आचार्यश्री महाश्रमणजी का मुंबई के दहीसर मेa पदार्पण हुआ। आर्हत वांङ्मय की अमृत वर्षा कराते हुए पूज्यवर ने फरमाया कि दुनिया में thr vkSj gkj nksuksa dh ckr gksrh gSA dHkh किसी की जीत होती है, तो dHkh हार भी हो जाती है।
अध्यात्म के जगत में भी जय की बात बतायी गयी है कि एक आदमी समरांगण में दस लाख यौद्धाओं को जीत लेता है। एक दूसरा आदमी मनुष्यों को न जीतकर अपनी आत्मा को जीत लेता है, अपने आप पर नियंत्रण कर लेता है। दोनों में जो आदमी अपनी आत्मा को जीतता है, वह परम विजयh होती है। स्वयं को जीतना कठिन काम हो सकता है। vkRet;h cuus dk iz;kl djsaA
जीतना तो शत्रु को है। हमारी नहीं जीती हुई आत्मा हमारी शत्रु हैa, कषाय हमारे शत्रु हैa, पांच इन्द्रियां हमारी शत्रु है। इनको जीतना अपने आपको जीतना हो गया। जीतने के लिए साधना की अपेक्षा होती है। भौतिक पदार्थ बाह्य सुख में निमित्त बन सकते हैa। अपने आपको जीतनs से जो खुशी होती है, वह अनिर्वचनीय होती है।
एक साधक जिसने रागद्वेष को जीत लिया, वह कितना बड़ा सुखी आदमी होता है। संत जो साधनाशील है, वह बड़ा राजा होता है। एक राजा भी साधु के चरणों में झुक जाता है। साधु तो महाराजा हो जाता है। साधु अंकिचन, अणगार होते हैं।
अपने आप को जीतने के लिए त्याग का रास्ता अपनाना आवश्यक होता है। साधु त्यागी होते हैं। अध्यात्म जगत के महाराजा होते हैं। जिंदगी में संतRo आना, संयमरत्न को प्राप्त कर लेना बड़ी बात होती है। जीवन में गुणों को महत्त्व देना चाहिये। साधना का महत्त्व होता है। गृहस्थ जीवन में भी सादगी और संयम हो। दूसरों के कल्याण के लिए अध्यात्म का पुरूषार्थ करें, तो हम अपने आप को जीतने वाले बन सकते हैं।
साध्वी प्रमुखाश्रीजी ने फरमाया कि अनेक लोग जानना चाहते हैa कि हमें कैसे जीना चाहिये। जिस जीवन में व्यक्ति शांति की अनुभूति करे, वैसा जीवन जीना चाहिये। बाह्य जगत में क्षणिक शांति मिल सकती है। आंतरिक शांति के लिए हमें अंर्तजगत में प्रवेश करना होगा, दृष्टिकोण बदलना होगा। संतोष और पवित्रता को बढ़ाना होगा, आनंद को बढ़ाना होगा।
पूज्यवर के स्वागत esa स्थानीय तेरापंथी सभा अध्यक्ष सागर मेहता, तेयुप अध्यक्ष महेन्द्र मादरेचा, ठाकुर रामनारायण एजुकेशन ट्रस्ट के ट्रस्टी रविसिंह, नगरसेवक जगदीश ओझा, शिवसेना के नेता अभिषेक घोषालकर ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। तेरापंथ महिला मंडल एवं तेरापंथ समाज द्वारा गीत की प्रस्तुतियां हुई।
कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि दिनेशकुमारजी ने किया।