भारतीय संस्कृति की आत्मा है ध्यान और योग

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भारतीय संस्कृति की आत्मा है ध्यान और योग

दक्षिण कोलकाता

युगप्रधान आचार्य महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनि जिनेशकुमारजी के सान्निध्य में प्रेक्षा फाउंडेशन के तत्वावधान में अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में योगोत्सव का आयोजन प्रिटोरिया स्ट्रीट स्थित 4 नंम्बर बिल्डिंग कंपाउंड में साउथ कोलकाता श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा किया गया। आयोजन में प्रेक्षावाहिनी, तेरापंथ युवक परिषद्‌‍, तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम भी सहभागी रही। इस अवसर पर उपस्थित योग सभा को संबोधित करते हुए मुनि जिनेशकुमारजी ने कहा ‘आत्मा पारस है, मोह का आवरण उसे लोहा बना देता है। मोह के आवरण को हटाने का उपाय है ध्यान। ध्यान भारतीय संस्कृति की आत्मा है। ध्यान स्वभाव परिवर्तन की प्रक्रिया है। ध्यान के माध्यम से व्यक्ति अनेक शक्तियों को उद्घाटित कर सकता है। हम कोई भी कार्य करें, उसमें जागरूकता जरूरी है। जागरूकता से ही ध्यान सधता है। प्रेक्षाध्यान एवं योग व्यक्ति को स्वस्थ बनाता है। तनाव मुक्ति, विकार मुक्ति, कषाय मुक्ति के लिए प्रेक्षाध्यान एवं योग अचूक औषधि है। ध्यान प्रवृत्ति से निवृत्ति की यात्रा है।’
मुनिश्री ने मानसिक शांति व आनंद कh प्राप्ति हेतु सभी को प्रेक्षाध्यान एवं योग का अभ्यास करने की प्रेरणा दी। मुनि जिनेशकुमारजी ने प्रेक्षाध्यान का प्रयोग भी कराया। इस अवसर पर प्रेक्षा प्रशिक्षक मोहन बोथरा, उषा घाड़ेवा, सुधा जैन, नवीना सुराना ने योगासन, प्राणायाम आदि प्रयोग कराये तथा प्रेक्षा प्रशिक्षकों ने प्रेक्षा गीत का संगान किया। आभार ज्ञापन पुष्पा भूतोड़िया ने किया। योगोत्सव में लगभग 100 व्यक्तियों ने भाग लिया।