दंपति कार्यशाला का आयोजन

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दंपति कार्यशाला का आयोजन

कोयम्बटूर
आचार्यश्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी डॉ. गवेषणाश्रीजी एवं आचार्य धर्मसूरिश्वरजी की सुशिष्या साध्वी मयूरयशाजी के सान्निध्य में ‘रब ने बना दी जोड़ी’ विषय पर ‘दम्पत्ति कार्यशाला’ का भव्य आयोजन नक्षत्रा टावर, लायंस क्लब, कोयम्बटूर में हुआ। डॉ. साध्वी गवेषणाश्रीजी ने कहा कि दो अनजान दिलों का साथ, दो आत्माओं का मिलन और दो दिलों के सफर का नाम है दंपत्ति। दंपति- जिनमें प्रेम है, अपनत्व है, आनंद है, वत्सलता है। छोटी-छोटी बातों से ही जिंदगी में तकरार शुरू होती है लेकिन समझदारी के साथ भगवान महावीर के अनेकान्त को स्वीकार करें।
साध्वीश्रीजी ने आगे कहा कि व्यक्ति जैसा बीज बोता है, वैसा ही फल पाता है। अपनी आत्मा ही सुख-दुरूख की कर्त्ता है। इसीलिए जो जैसी सेवा करता है, वैसा मेवा उसे प्राप्त होता है। वर्तमान में बूढ़े मां-बाप आउट ऑफ डेट माने जाते हैं, जबकि उनके पास अनुभव का खजाना है। सीपियों में मोती की तरह उनके ह्रदय में आशीर्वाद भी छिपा हुआ है। इसलिए मांबाप का आदर करें, उनके अनुभवों का लाभ उठाएं। साध्वी मयंकप्रभाजी ने कहा- रिश्ता वह होता है, जिसमें बात कम, समझ ज्यादा होती है। तकरार कम, प्यार ज्यादा और आस कम, विश्वास ज्यादा होता है।
आचार्य धर्मसूरिश्वरजी की सुशिष्या साध्वी मयूरयशाजी ने कहा- दुनिया में बहुत सारे संबंध है। सभी संबंधों में कभी न कभी तकरार होती है। उस तकरार में एकदूसरे को समझते हुए बात समाप्त करने का प्रयास किया जाए तो संबंधों में मधुरता आ सकती है। साध्वी चौतन्ययशाजी ने कहा कि इंसान गलती का पुतला होता है। आज तलाक के केस इतने बढ़ रहे हैं। पतिपत्नी सहनशीलता का परिचय दें तो परिवार टूटने से बचाव हो सकता है। साध्वी दर्शनप्रभाजी ने सुमधुर गीतिका प्रस्तुत की।
कार्यक्रम की शुरुआत ज्ञानशाला ज्ञानार्थी मिस्टर आर्यन ने की। स्वागत भाषण में तेयुप अध्यक्ष मनोज बाफणा ने प्रभावी विचार रखे। नक्षत्रा महिला मण्डल ने ‘दम्पति ही सच्ची सम्पत्ति है’ स्वरों में भावपूर्ण गीतिका की प्रस्तुत दी। कोयम्बटुर तेरापंथी सभाध्यक्ष उत्तमचन्द पुगलिया, देवीलाल माण्डोत ने विचार रखे। उपासिका सुशीला बाफणा ने विषय पर प्रस्तुति दी।
संगायक नवीन नाहटा के सुमधुर स्वर लहरी से उपस्थित लोगों को भाव विभोर बना दिया। मंच का कुशल संचालन साध्वी मेरुप्रभाजी ने किया। रामलाल बुच्चा ने संपूर्ण जैन समाज व तेरापंथ समाज का धन्यवाद ज्ञापन किया। राजगुरु ट्रस्ट के अध्यक्ष जीतमल ओबानी ने विचार व्यक्त किए। इस दंपत्ति कार्यशाला को सफल बनाने में भंवरलाल मरोठी, मोहनलाल बुच्चा, सम्पतलाल बाफणा, मनोज बाफणा, सुभाष बुच्चा, रामलाल बुच्चा, प्रकाश मरोठी आदि की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही।