‘पहला सुख निरोगी काया’ विषयक संगोष्ठी का आयोजन

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‘पहला सुख निरोगी काया’ विषयक संगोष्ठी का आयोजन

गंगाशहर
श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, गंगाशहर द्वारा साध्वी शशिरेखाजी एवं साध्वी ललितकलाजी के सान्निध्य में ‘पहला सुख निरोगी काया’ विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए साध्वी शशिरेखाजी ने स्वास्थ्य की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हम कैसे खाएं? कैसे रहें? कैसे सोएं? आदि विषयों पर जागरूक रहते हुए अपने स्वास्थ्य का ध्यान रख सकते हैं। हमारी दिनचर्या अगर व्यवस्थित हो तो स्वास्थ्य को सही रखा जा सकता है। उन्होंने जंक फूड, फास्ट फूड तथा बाहर के खाने के नुकसान भी बताए। उन्होंने बताया कि मानव जीवन दुर्लभ है, अगर हमारा शरीर स्वस्थ रहें तो हम आत्मसाधना भी अच्छी तरह कर पाएंगे। साध्वी ललितकलाजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि संयम से शरीर स्वस्थ रहता है तथा असंयम से बीमार हो जाता है। उन्होंने शरीर के अवयवों को बेशकीमती बताते हुए उन्हें सुरक्षित रखने के उपाय बताए। दीर्घ श्वास के बारे में बताया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉक्टर जैन जे. एम. मरोठी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि व्यक्ति जब निरोगी रहता है, तो उसे सब कार्य अच्छा लगता है। अगर वह स्वस्थ नहीं है तो उसे कुछ भी अच्छा नहीं लगता। स्वास्थ्य के लिए उन्होंने बैलेंस डाइट को महत्वपूर्ण बताया। कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन व वसा की संतुलित मात्रा व्यक्ति को स्वस्थ रखने में कारगर है। जैन धर्म में कम द्रव्य लगाने की परंपरा को उन्होंने स्वास्थ्य के लिए हितकारी बताया। खाने के साथ-साथ पानी कितना पीना?, कैसे पीना? इस पर भी अपने विचार रखे। उन्होंने सरकार द्वारा जारी स्वास्थ्य एवं टीकाकरण संबंधी जानकारी विस्तारपूर्वक साझा की। जंक फूड के नुकसान बताते हुए उससे बचने व बच्चों को बचाने के लिए कहा। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य के बारे में भी जानकारी दी।
तेरापंथी महासभा के संरक्षक जैन लूणकरण छाजेड़ ने संगोष्ठी के आयोजन की भूमिका बताते हुए कहा कि व्यक्ति का स्वास्थ्य अनमोल है, इसीलिए पहला सुख-निरोगी काया को कहा गया है। तेरापंथी सभा के अध्यक्ष अमरचंद सोनी ने आभार व्यक्त किया। मुख्य वक्ता डॉ मरोठी का पताका एवं साहित्य से सम्मान किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन मंत्री रतनलाल छलाणी ने किया।