साध्वीवृंद का मंगल चातुर्मासिक प्रवेश

संस्थाएं

साध्वीवृंद का मंगल चातुर्मासिक प्रवेश

सिवानी
‘शासनश्री’ साध्वी कुंथुश्रीजी, साध्वी सुमंगलाश्रीजी, साध्वी सुलमयशाजी एवं साध्वी सम्बोधयशाजी का विशाल रैली के साथ तेरापंथ भवन में चातुर्मास हेेतु उल्लासपूर्ण वातावरण में मंगल प्रवेश हुआ। जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ की दृष्टि से सिवानी क्षेत्र की पूरे हरियाणा प्रदेश में अपनी एक अलग पहचान है। इस क्षेत्र में जितने भी जैन परिवार हैं, सभी कर्मणा जैन हैं एवं सभी तेरापंथी हैं, श्रद्धा भक्ति भावना से भरपूर है। परम पूज्य आचार्य प्रवर की अनुकंपा से इसी क्षेत्र की साध्वी कुंथुश्रीजी का चातुर्मास प्राप्त कर यहां का कणकण और जनजन पुलकितप्रमुदित है। चारों तरफ नई उमंगें छा रही है। साध्वी कुंथुश्रीजी ने उद्बोधन प्रदान करते हुए कहा ‘आज हमारा अंतकरण परम प्रसन्नता की अनुभूति से आप्लावित हो रहा है, क्योंकि परम पूज्य आचार्यप्रवर की असीम अनुकंपा से हम अपने गंतव्य स्थल पर पहुंंच गए हैं। गुरुदेव का जो आदेश मिला उसके निर्देशानुसार हम यहां आ गए हैं।’
साध्वीश्री ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा ‘आपने हमारा भावभीना स्वागत किया। हमारा सच्चा स्वागत अहिंसा के सुमनों से करें। हम सिवानी में अध्यात्म की, त्याग की खुशबू फैलाने आये हैं। चातुर्मास धर्म कk सीजन है। ध्ार्म की फसल उगायें, स्वाध्यायध्यान से जीवन की बगिया महकाएं। यह वर्ष श्रद्धेय आचार्य प्रवर का दीक्षा कल्याणक वर्ष है। अधिक से अधिक करणीय संकल्पों को स्वीकार करें। चातुर्मास को सफल बनाएं।’
साध्वी सुलमयशाजी ने कहा ‘चातुर्मास का समय महत्वपूर्ण होता है, धर्मध्यान, तप, योग से समय को सार्थक बनाएं। साध्वी सुमंगलाजी ने ‘जागोजागो जगने का अवसर आया है’ गीत के स्वरों और विचारो से जन समूह को प्रेरित किया। तेरापंथी सभाध्यक्ष रतनलाल जैन ने कहा आचार्य प्रवर ने सिवानी पर महती कृपा की है। हमारी संसारपक्षीया बहिन साध्वी कुंथुश्रीजी का चातुर्मास बकसाया। हम पूज्य गुरुदेव के प्रति श्रद्धा प्रणत हैं। तोषाम से महासभा प्रभारी पवन जैैन ने स्वागत करते हुए ज्ञानशाला के सुव्यवस्थित और नियमित संचालन की प्रेरणा दी।
उपासक श्यामसुंदर, सरिता बंसल, ॠतु बंसल आदि वक्ताओं ने गीत, भाषण के द्वारा साध्वीवृंद का अभिनंदन किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन सभा के उपाध्यक्ष अमित जैन us किया। इस अवसर पर तोषाम, हिसार, सिसाय आदि क्षेत्रों से भाईबहिनों का आगमन हुआ।