धर्म क्रांति के पुरोधा आचार्य भिक्षु
रोहिणी, दिल्ली
शासनश्री साध्वी संघमित्रा जी के सान्निध्य में तेरापंथ भवन, रोहिणी में आचार्य भिक्षु का जन्म दिवस व तेरापंथ स्थापना दिवस का कार्यक्रम रखा गया। साध्वी संघमित्रा जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु भारतीय गुरु परंपरा के गौरव थे, गुरुता के शिखर थे, ज्योति की निर्धूम शिखा थे। साहस का दरिया व सत्य के महान अन्वेषी थे। उनकी क्रांति थी सत्य के लिए जीवन मूल्यों के लिए। उनके हथियार सहनशीलता, निडरता, क्षमा, मैत्री व अहिंसा। उन्होंने आगे कहा कि आचार्य भिक्षु की धर्म क्रांति का प्रथम कदम बोधि दिवस यह दिन नव भान के उदय का दिन है। आचार्य भिक्षु के हृदय में आज के दिन एक दिव्य लौ प्रज्ज्वलित हुई। उसी लौ का प्रकाश आज समूचे तेरापंथ धर्मसंघ को आलोकित कर रहा है। वे तेरापंथ धर्मसंघ के प्रथम आचार्य थे। धम्म जागरणा में अनेक कलाकारों ने अपने स्वरों को बुलंद कर मीठी झंकार से वातावरण को भिक्षुमय बना दिया। शासनश्री साध्वी ललितप्रभा जी, साध्वी शीलप्रभा जी, साध्वी अमितश्री जी, साध्वी समाधिप्रभा जी व साध्वी ओजस्वीप्रभा जी ने गीत व विचारों की प्रस्तुति दी। ज्ञानशाला प्रशिक्षिका प्रवीणा सिंघी एवं स्मिता बोथरा ने मंगल संगान किया। प्रदीप संचेती ने अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। मंच का संचालन साध्वी डॉ0 सूरजयशा जी ने किया।