जन्म जन्म का साथ
संथारा साधक शान्तिप्रियजी की सुनो कहानी
सुन लो जीवंत कहानी . . .
संकल्पों से भरी जिंदगी, पौरूष की है निशानी . . .
संथारा साधक शान्तिप्रियजी . . .
जुहारमलजी के प्रपौत्र, बोरदिया कुल उजियारे हो ऽऽऽ
पिता दिपचंद मां अंबा के ‘शांति’ नयान सितारे
जन्मभुमि मोवाड़ देवरिया, देवभुमि सुखदाई
संथारा साधक शान्तिप्रिय . . . ।।
गुंज उठी उन्नीस बरस में शादी की शहनाई
जुवासीया ससुराल सहचरी सौभाग्य रतनबाई
मुन्ना विनोद, प्रकाश, विमल, से महक उठी फुलवारी
संथारा साधक शान्तिप्रिय . . .।।
संघ समर्पित श्रद्धानिष्ठ उपासक का गौरव पाए
तुलसी महाप्रज्ञ हृदय में, अपना स्थान बना पाए
रो रोम में हर पल बरते महाश्रमण जयकारी
संथारा साधक शान्तिप्रिय . . .।।
तत्वज्ञान के ज्ञाता, प्रवचन शैली थी अलबेली
प्रश्न पहेली सदा पुछते गीतों की रसरैली
ओजस्वी वाणी थी इनकी सबने खुब सराई
संथारा साधक शान्तिप्रिय . . .।।
अनशनधारी बनकर ही मैं इस दुनिया से जाऊं
तोड़ श्रृंखला आड करम की अजर अमर पद पाऊं
मनोकामना पूर्ण हुई पा गुरु आज्ञा शिरधारी
संथारा साधक शान्तिप्रिय . . .।।