मंत्रा दीक्षा के विविध आयोजन

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मंत्रा दीक्षा के विविध आयोजन

सिलीगुड़ी
अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद् के निर्देशन में एवं तेरापंथ युवक परिषद सिलीगुड़ी के आयोजन में मंत्र दीक्षा का आयोजन हुआ। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुनि प्रशांतकुमारजी ने कहा- ‘प्रातः उठते ही नवकार मंत्र का जप करना चाहिए, उसे अपना जीवन साथी बना लेना चाहिए। यह मंत्र नही अपितु शक्तिशाली महामंत्र है। मंत्र दीक्षा स्वीकार करने वाले ज्ञानार्थी वीतराग बनने का चिंतन करते रहें। श्रावक जीवन से आगे साधु जीवन में प्रवेश कर सिद्ध गति मोक्ष को प्राप्त करना हमारा लक्ष्य होना चाहिए। मनुष्य एवं देव गति से अधिक सुख मोक्ष गति में होता है। प्रतिदिन त्याग करते रहें, जिससे आसक्ति का भाव कम हो।’
मुनि कुमुदकुमारजी ने कहा- ‘हमारे जीवन में संस्कार का बहुत महत्व है। बिना संस्कार के जीवन भारभूत बन जाता है। संस्कारी बच्चे भविष्य को सुखद बना देते हैं। ज्ञानशाला जीवन निर्माण की प्रयोगशाला है। ज्ञानशाला का ज्ञानार्थी ज्ञान अर्जन के साथ संयमी जीवन को समझने का प्रयास करे। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थी अपने जीवन को इतना सुसंस्कारी बनाएं कि स्वयं, परिवार एवं धर्मसंघ का गौरव बढ़ जाए। मुझे वीतराग बनना है ये संकल्प प्रतिदिन दोनों समय तीन बार उच्चारण करना चाहिए।’
कार्यक्रम का शुभारम्भ मुनिश्री के मंगलमंत्रोच्चार से हुआ। तेरापंथ युवक परिषद् ने विजयगीत का संगान किया। पंजाबी पाडा एवं तेरापंथ भवन ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने प्रस्तुति दी। प्रीतम बोकड़िया ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। आभार ज्ञापन प्रशांत छाजेड ने किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि कुमुदकुमारजी ने किया।