बारह व्रत कार्यशालाओं के विविध आयोजन
आमेट
तेरापंथ युवक परिषद, आमेट द्वारा साध्वी कीर्तिलताजी के पावन सान्निध्य में बारह व्रत स्वीकरण कार्यशाला आयोजित हुई। साध्वी कीर्तिलताजी ने व्रत की मीमांसा करते हुए कहा- ‘भारतीय संस्कृति व्रत व संयम की संस्कृति है। व्रत के बिना कर्मों का द्वार कभी बन्द नहीं हो सकता। भगवान महावीर ने फरमाया कि आप अपने जीवन में हर चीज की सीमा जरूर करें। जब तक सीमा नहीं करोगे, त्याग नहीं करोगे तो कर्मों का नाला चलता रहेगा। अच्छी जिंदगी जीने के लिए जरूरी है सीमा करना।
जब तक त्याग नहीं किया तब तक आसक्ति का द्वार बन्द नहीं हो सकता। रहने के लिए अच्छा घर मिल जाए, खाने के लिए अच्छा भोजन मिल जाए फिर इतनी आसक्ति क्यों? व्रत हमेशा हिंसा, झूठ, अब्रहाचर्य आदि से बचाता है। जैनत्व की पहचान आज धूमिल होती जा रही है। खान-पान, रहन-सहन सब कुछ में शीर्षासन हो रहा है। पाश्चात्य संस्कृति हावी हो रही है। अपनी संस्कृति को सुरक्षित रखने के लिए फिर से सिंहावलोकन करना होगा। त्याग की संस्कृति को जीवन में अपनाना होगा । ऐसा होगा तभी हम सत्यम, शिवम,् सुन्दरम को प्राप्त कर सकेंगे।’