व्रतों की चेतना जगाएं- शाश्वत प्रकाशपुंज बन जाएं
ग्रीन पार्क (दक्षिण दिल्ली)
साध्वी डॉ. कुंदनरेखा जी के सान्निध्य तथा तेयुप के तत्त्वावधान में बारह व्रत कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर साध्वी कुंदनरेखा जी ने कहा कि श्रावक का चौथा सोपान है- सम्यग्दर्शन और पाँचवीं सीढ़ी है- देशव्रत्। सम्यग्दर्शन के बिना देशव्रत अर्थात् व्रतों के स्वीकरण रूप चेतना का जागरण नहीं हो सकता। पदार्थों की अंतहीन भीड़ ने मानव मन को विमोहित किया है।
आसक्ति, कषाय की प्रबलता, हर क्षण नया पाने की चाह ने जहां इंसान को भटकाया है, वहां भगवान महावीर ने बारह व्रतों की संयोजना कर मनुष्य को भटकने से बचाया भी है। बारह व्रत ऐसे शस्त्र हैं, जो पापों का सफाया कर सुंदरतम तनावमुक्त जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं। सभी व्रतों को अपनाएं, ज्ञानवान और प्रकाशवान बन जाएं, मंगलकामना।
साध्वी सौभाग्ययशा जी ने कहा कि ‘व्रत’ दिखावा और प्रदर्शन नहीं, आत्म प्रेरणा से स्वीकृत आत्मदर्शन है। इस अवसर पर उन्होंने एक गीत का संगान किया। साध्वी कल्याणयशा जी ने कार्यक्रम का प्रारंभ कर श्रावक समाज को ध्यान के माध्यम से प्रेरित किया। तेयुप, दिल्ली द्वारा विजयगीत का संगान किया गया। दिल्ली तेयुप के मंत्री अमित डूंगरवाल ने स्वागत भाषण और तत्त्व प्रचेता हेमा चोरड़िया ने अपने विचार प्रस्तुत किए। पारस ने आभार ज्ञापन किया। साध्वीश्रीजी की प्रेरणा से लगभग 50 भाई-बहनों ने बारह व्रतों को स्वीकार किया।