सब सुखी बनें, सब रोग मुक्त बनें
कांकरोली
शासनश्री मुनि रविंद्रकुमारजी एवं मुनि अतुलकुमारजी के सान्निध्य में प्रेक्षावाहिनी के अंतर्गत ‘सब सुखी बनें, सब रोगमुक्त बनें’ कार्यशाला का आयोजन किया गया। मुनि अतुलकुमारजी ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि कौन कहता है कि जीवन में बदलाव संभव नहीं। बदलाव जीवन का सत्य है। इसलिए बदलाव की संभावना से जुड़ें। अशुभ विचार, व्यवहार, संस्कार बदलने का वह पुरुषार्थ करें, जो हमारे विकास एवं सुख शांति में बाधक बन रहे हैं, मन में नकारात्मक भाव जगा रहे हैं। मन की बीमारी जितनी सताती है, उतनी शरीर की बीमारी नहीं सताती। सब कुछ पास में है किंतु मन की स्थिति गड़बड़ाने के कारण उनके लिए कुछ भी नहीं है। ज्यादा गुस्सा-तनाव की स्थिति में भोजन करने से रोग का खतरा बढ़ता है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव एक आम समस्या बन चुका है। छोटे से लेकर बड़े तक आज हर तीसरा व्यक्ति इस समस्या से जूझ रहा है। तनाव की स्थिति कब होती है, जब हम दवाब लेने लगते हैं और जीवन के हर पहलू पर नकारात्मक रूप से सोचने लगते हैं। अधिक तनाव के कारण हृदय रोगों के मामले काफी सामान्य हैं।
लंबे समय तक तनावग्रस्त रहने वाले लोगों में हाई बीपी, हृदय की बीमारियों का खतरा अधिक हो सकता है। हार्ट डिजीज के बढ़ते मौत के आंकड़ों को देखते हुए समय आ गया है इसे लेकर सचेत हो जाने का। इसमें सिर्फ खानपान ही नहीं बल्कि अपनी भावनाओं का भी ख्याल रखने की ज़रूरत है। मुनिश्री ने प्रेक्षाध्यान एवं योग के प्रयोगों के द्वारा मन और तन दोनों को ठीक रखने की प्रेरणा दी। प्रेक्षा वाहिनी सदस्यों ने प्रेक्षा गीत से मंगलाचरण किया। प्रेक्षावाहिनी संवाहक मधु चोरड़िया ने आभार ज्ञापित किया। कार्यशाला में काफी अच्छी संख्या में साधक-साधिकाएं उपस्थित रहे।